उद्योग संघ कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के अध्यक्ष उदय कोटक ने कोरोना की दूसरी लहर और लॉकडाउन के अर्थव्यवस्था पर बढ़ते असर से निपटने के लिए भारत सरकार से राहत पैकेज की मांग की है. छोटे-लघु उद्योगों के साथ-साथ व्यापारी भी सरकार से उन्हें संकट से उबारने की अपील कर रहे हैं. उदय कोटक ने कोरोना की दूसरी लहार और लॉकडाउन के बढ़ते असर को देखते हुए ये मांग की है. उदय कोटक ने एनडीटीवी से कहा, 'अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान को देखते हुए आरबीआई को कैश प्रिंट करना चाहिए.'
'GDP का 1% गरीबों को कैश देने पर हो खर्च, करेंसी छापे सरकार', उदय कोटक की केंद्र को सलाह
इसी हफ्ते ग्लोबल फोरकास्टिंग फर्म ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स ने अपनी ताजा रिपोर्ट में देश के बड़े हिस्से में लॉकडाउन और धीमी पड़ते टीकाकरण को देखते हुए भारतीय जीडीपी की ग्रोथ फोरकास्ट 10.2% से घटाकर 9.1% कर दिया. जमीन पर छोटी फैक्टरियों में लॉकडाउन का असर साफ दिख रहा है. बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में तोशी ऑटोमेटिक सिस्टम्स की प्रोडक्शन असेंबली लाइन पर सेंसर्स से चलने वाले ऑटोमेटिक गेट, दरवाजे जैसे हाई-एन्ड ऑटोमेटिक सिस्टम्स और प्रोडक्ट्स बनते हैं. फैक्ट्री मालिक संजीव सचदेव कहते हैं - लॉकडाउन की वजह से डिमांड घाट गयी है और सप्लाई लाइन फिर कमज़ोर पड़ गयी है.
उन्होंने NDTV से कहा, "मार्केट बंद है, लोहा मंडी बंद है. हमारी इंडस्ट्री में कई तरह की सामान की जरूरत हर वक्त पड़ती है. ट्रांसपोर्ट रुका हुआ है. ऐसे में हम अपना माल पूरा तैयार कैसे करेंगे. रेडीमेड प्रोडक्ट की डिलीवरी प्रभावित हुई है. सप्लाई चेन बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुई है. सरकार को लोन की रिस्ट्रक्चरिंग के लिए पहल करनी चाहिए. हम EMI समय पर कैसे चुका पाएंगे. Loan का इंटरेस्ट कैसे देंगे जब कमाई पूरी नहीं हो पा रही है. MSME को मदद की सबसे ज्यादा जरूरत है.'' राहत की मांग व्यापारी भी कर रहे हैं जिनकर कारोबार लॉकडाउन की वजह से ठप्प पड़ा हुआ है.
ऑल इंडिया व्यापारी संगठन के चेयरमैन सतीश बंसल ने कहा, 'सरकार को हमें राहत देना चाहिए. ईएमआई की पेमेंट व्यवस्था में जो राहत 2020 में लॉकडाउन के दौरान दी गयी थी उसी तर्ज पर दूसरी लहर की मार झेल रहे व्यापारियों को भी राहत मिलनी चाहिए.' ज़ाहिर है, कोरोना की दूसरी लहर का साया अर्थव्यवस्था पर गहराता जा रहा है. आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण राज्यों में कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाऊन की वजह से अर्थव्यवस्था कमज़ोर पड़ती जा रही है. देखना महत्वपूर्ण होगा की भारत सरकार उद्योग जगत और व्यापारियों की इन मांगों से कैसे निपटती है.