चीन बॉर्डर पर भारत की रेस, अरुणाचल प्रदेश इस तरह पर्यटन को दे रहा बढ़ावा

मेचुखा गांव में मेंबा बोली में में का अर्थ है औषधि और चू का अर्थ है बर्फ. यही वजह है कि लामां चू और शियोंग जैसी नदियों से ये पूरा इलाका ख़ुशहाल है. इन नदियों में ऐसे दुर्लभ प्रजाति की मछली है जो धारा के विपरीत जाती हैं क्योंकि ये ठंडे पानी में ही रह सकती हैं.

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नई दिल्ली:

भारत का सूदूर उत्तरी पूर्व छोर पर बसा राज्य अरुणाचल प्रदेश, उस वक्त जागा रहता है जब ज्यादातर राज्य नींद की आगोश में होते हैं. इसकी यही खासियत इसे सूर्योदय की धरती बनाती है. अरुणाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक वादियों, वर्षा, वन के घने जंगल, बर्फ से ढके हिमालय के पहाड़ों की लंबी श्रंखला और उससे निकलती शीशे की तरह साफ नदियां और बौद्ध धर्म की प्राचीन विरासत से आबाद है. प्राकृतिक संसाधन और विविधताओं से भरे इस राज्य पर पड़ोसी देश चीन की काफी दिनों से बुरी नजर है लेकिन चीन की आक्रामकता का जवाब LAC यानि Line of actual control के नजदीक बसा मेचुका का ख़ूबसूरत गांव कुछ इस तरह दे रहा है.  

मेचुखा गांव में मेंबा बोली में में का अर्थ है औषधि और चू का अर्थ है बर्फ. यही वजह है कि लामां चू और शियोंग जैसी नदियों से ये पूरा इलाका ख़ुशहाल है. इन नदियों में ऐसे दुर्लभ प्रजाति की मछली है जो धारा के विपरीत जाती हैं क्योंकि ये ठंडे पानी में ही रह सकती हैं. मेचुका में पहली बार दुनिया भर के खिलाड़ियों का जमावड़ा है. एडवेंचर रेस में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों का यहां परंपरागत तरीके से स्वागत होता है. 

ये पहला मौका रहा जब LAC के इतने नजदीक मेचुका गांव में मलेशिया, नेपाल, अमेरीका ही नहीं देश के अलग अलग राज्यों के खिलाड़ी पहुंचे. 160 km की ये कठिन एडवेंचर रेस हिमालय घाटी के चुनौती देते रास्तों और तिब्बत से निकलने वाली नदियों से गुजरती है लेकिन यहां पहुंचे खिलाड़ी खेल की कठिनाइयों की नहीं यहां की खूबसूरती और लोगों की पंरपरा से अभिभूत है.

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आईएआर वर्ल्ड सीरीज के सीईओ हाइफर मुलर ने कहा, यहां आकर बहुत अच्छा लगा सबसे बड़ी बात स्थानीय लोग यहां हम लोगों का बहुत गर्मजोशी से स्वागत कर रहे हैं. अब चीन को भले ही इन सबसे मिर्ची लगे लेकिन वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत अरुणाचल प्रदेश सरकार कैसे सीमावर्ती क्षेत्रों का आधारभूत ढांचा मजबूत कर रही है ये जानने के लिए सबसे पहले चलते हैं मेचुका के दार्जलिंग गांव.

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यहां सोना मापना अपनी दस आदिवासी महिलाओं के साथ सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर इस तरह का रेस्टोरेंट चलाती हैं. हिन्दी गाना गाती हैं और अरुणाचल की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाती हैं. सोना मापा दार्जलिंग की निवासी हैं. उन्होंने कहा, पहले हम केवल खेती पर निर्भर रहते थे लेकिन सरकार ने हमें मदद की हमारा दस महिलाओं का सेल्फ हेल्प ग्रुप है. हम सब मिलकर रेस्टोरेंट चलाती हैं. इन्हीं सब कारणों से मेचुका जैसे बार्डर के छोटे से क़स्बे में पर्यटकों की तादात लगातार बढ़ रही है. 

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2024 से पहले पेमा खेती करके अपना परिवार चलाते थे लेकिन सेना की मदद से पहले होटल मैनेजमेंट किया. फिर केंद्र सरकार की योजना की मदद से अपना होम स्टे खोला. आज पूरे परिवार की मदद से मेचुका में होम स्टे चला रहे हैं. पेमा खांडू ने केंद्र सरकार दीन दयाल योजना के तहत बीस लाख का लोन लिया और होम स्टे बनवाया फिर सेना ने होटल मैनेजमेंट का कोर्स करवाया. चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए भारत अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गांवों में बिखरी बौद्ध धरोहरों को भी संरक्षित कर रहा है. इसके चलते देश विदेश के बौद्ध अनुयायियों का आकर्षण बढ़ा है.

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मेचुका में बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए आठवीं शताब्दी में गुरु पद्म संभल आए थे. उनकी याद में समदेन यंगचक की प्राचीन मोनेस्टी करीब 500 साल पहले बनाई गई थी लेकिन पहाड़ और जंगल से भरे अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों की सबसे बड़ी दिक़्क़त यहां के रास्ते हैं. यही वजह है BRO यानि बार्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन के लिए हर दिन यहां चुनौती भरा होता है. सरकार चीन के बार्डर तक आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए 42000 करोड़ की लागत से फ्रंटियर हाईवे बनाने का काम शुरू कर रहा है. म्यांमार से शुरू होकर ये हाईवे चीन बार्डर के राज्यों को जोड़ेगा. BRO जहां सड़क बनाने के काम में जुटा है वहीं अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू बार्डर पर पर्यटन बढ़ाने के लिए कई योजनाओं का उद्घाटन कर रहे हैं.

पेमा खांडू ने फ्रांसिस्को हाईवे का टेंडर निकाला है. हमारी कोशिश है कि बार्डर के गांवों में पर्यटन का बढ़ावा दिया जाए ताकि लोग आए. मेचुका में एयर पोर्ट को लेकर भी बात हो रही है. अरुणाचल प्रदेश सरकार की मदद से हम भारत-चीन बार्डर पर सेना की अंतिम चौकी लोमांग पोस्ट जा रहे हैं. ये मेचुका गांव से करीब 40 किमी दूर है. लोमांग पोस्ट से ही चीन पर निगरानी के लिए पेट्रोलिंग पार्टी रवाना होती है. एक समय यहां सड़क का नामों निशान नहीं था लेकिन आज लोमांग पोस्ट तक BRO ने सड़क बना दी है. यहीं घने जंगलों में हमें एक ख़राब हेलीकॉप्टर दिखा.

2004 से से हेली कॉप्टर ऐसे ही खड़ा है. दरअसल हवा के दबाव के चलते 2004 से ये हेलीकॉप्टर उड़ नहीं पाया. उस वक्त सड़कों का नामों निशान नहीं था और यहां पहुंचना इतना मुश्किल था कि ये हेलीकॉप्टर यहीं खड़ा रहा गया. लेकिन आज भारत चीन बार्डर पर लगातार मंडराते हवाई जहाज़, चीन के बार्डर पर बन रही सड़कें और इससे भी बड़ी बात अरुणाचल प्रदेश के लोगों का सांस्कृतिक और भावनात्मक लगाव इस बात की गवाही दे रहे हैं कि सरहद पर भारत ने हार्ड से लेकर साफ्टपॉवर तक को तेज़ी से बढ़ाया है. इसका बदलाव यहां की संस्कृति, परंपरा और संगीत में महसूस होता है.

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