कोविड-19 को लेकर बनाई गई नेशनल टॉस्क फोर्स (Covid-19 Task force) ने शनिवार को ब्रिटेन में सबसे पहले खोजे गए कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन (UK corona New Strain) को लेकर एक बैठक की. टॉस्क फोर्स ने इस बेहद संक्रामक स्ट्रेन को खोजने और नियंत्रण में रखने की निगरानी रणनीति पर चर्चा की. ब्रिटेन से लौटे और कोविड से संक्रमित पाए गए करीब 50 लोगों के नमूनों की एडवांस लैब में जा हो रही है, ताकि पता लगाया जा सके कि वे कोरोना के नए स्ट्रेन की चपेट में तो नहीं हैं. जिलों के निगरानी अधिकारी उन यात्रियों की खोजबीन में जुटे हैं, जो पिछले एक माह के दौरान ब्रिटेन से लौटकर आए हैं.
टॉस्कफोर्स ने नियमित जीनोमिक सर्विलांस की जरूरत बताई है, ताकि कोरोना वायरस के विभिन्न स्ट्रेन (रूप) का पता लगाने के साथ उनकी निगरानी की जा सके. इसमें ब्रिटेन और अन्य देशों में फैल रहे कोरोना के स्ट्रेन शामिल हैं. इसके लिए ब्रिटेन से लौटे यात्रियों के अलावा सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पांच फीसदी कोविड पॉजिटिव मरीजों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग कराने का निर्णय किया गया है.
जीनोमिक सर्विलांस कंसोर्टियम (INSACOG) नाम का समूह देश भर में कोरोना वायरस के स्ट्रेन की प्रयोगशाला और अन्य स्तरों पर निगरानी का काम करेगा. बयान में यह भी कहा गया है कि सभी आरएनए वायरस की तरह सार्स-कोव 2 भी लगातार म्यूटेट यानी रूप बदलता रहता है. ऐसे वायरस को सोशल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई, मास्क पहननकर और वैक्सीन जैसे उपायों से नियंत्रित किया जा सकता है.