इन चीजों को हथियार बना कोरोना से जंग लड़ रहे भारतीय युवा, कहा- रात 3 बजे तक आते हैं जरूरतमदों के फोन

जरुरतमंदों लोगों की मदद की यह मुहिम 24 घंटे और सातों दिन की है. युवाओं की ये टीम लगातार फोन के माध्यम से आपूर्ति की उपलब्धता की पुष्टि और रियल टाइम में जानकारियों को अपडेट करती है.   

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मुंबई:

कोरोनावायरस (Coronavirus) के मामले बढ़ने के साथ देश में जरूरी चीजों की किल्लत बढ़ गई है. इसे देखते हुए कई लोग अपने संसाधनों के माध्यम से लोगों की मदद कर रहे हैं. मुंबई की एक छात्रा स्वधा प्रसाद एग्जाम की तैयारी करने के बाद अब अपने असल काम में जुट गई हैं. वह COVID मरीजों के लिए अस्पताल में बेड, दवाएं और ऑक्सीजन खोज रही है क्योंकि संक्रमण की दूसरी लहर में भारत को उपरोक्त वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है. 

चूंकि सरकार महामारी से निपटने में संघर्ष कर रही है तो देश के युवाओं ने लोगों की मदद करने की जिम्मेदारी अपने कंधे पर ले ली है. वे जरूरतमदों की मदद के लिए ऐप बना रहे हैं, जरूरी चीजों की आपूर्ति कर रहे हैं और जरूरतमंद लोगों तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके जरूरी संसाधन पहुंचा रहे हैं. 

स्वधा प्रसाद कई वॉलेन्टियर्स के साथ मिलकर एक युवा संगठन UNCUT से जुड़ी हुई हैं. इस संगठन के सभी वॉलेंटियर्स 14 से 19 साल के बीच के हैं. संगठन ने एक ऑनलाइन डेटाबेस तैयार किया है, जिसमें देशभर में मौजूद चिकित्सा संसाधनों के बारे में जानकारी है. 

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जरुरतमंदों लोगों की मदद की यह मुहिम 24 घंटे और सातों दिन की है. युवाओं की ये टीम लगातार फोन के माध्यम से आपूर्ति की उपलब्धता की पुष्टि और रियल टाइम में जानकारियों को अपडेट करती है.   

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17 वर्षीय प्रसाद बताती है कि "हम में कुछ लोग सुबह की शिफ्ट से लेकर आधी रात तक काम करते हैं क्योंकि सुबह तीन बजे तक कॉल आना बंद नहीं होती हैं." उन्होंने कहा कि यह एक लंबा और अक्सर थका देने वाला मामला है, लेकिन "अगर मैं किसी का जीवन बचाने में मदद कर सकती हूं, तो मेरे न कहने का कोई सवाल ही नहीं है." 

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उन्होंने एक मामले के बारे में इंगित करते हुए कहा कि लोगों की जान बचाई गई है. टीम ने कोरोना के मरीज को आधी रात को ऑक्सीजन उपलब्ध कराया. य़ह सिर्फ संसाधन उपलब्ध कराने की बात नहीं  है... कभी लोगों को सिर्फ यह जानने की जरूरत होती है कि वे अकेले नहीं हैं."

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