अब कैसे जाएं कनाडा? वीजा नियम कड़े होने के बाद भारतीय छात्रों को कितना नुकसान?

कनाडा सरकार का कहना है कि इन नियमों का मकसद दुनिया भर के छात्रों को निजी संस्थानों द्वारा उठाए जाने वाले नाजायज़ किस्म के फायदों से बचाना है

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नई दिल्ली:

कनाडा और भारत (Canada and India) के बीच बढ़ते तनाव में अब एक नया संकट जुड़ता दिख रहा है. हालांकि कनाडा ने भारत के संदर्भ में अलग से कोई फ़ैसला नहीं किया है, लेकिन उसने छात्रों के लिए नए वीज़ा नियमों का एलान किया है. इन नए नियमों का सबसे ज़्यादा असर भारतीय छात्रों को ही भुगतना पड़ सकता है.नए नियमो के तहत कनाडा ने छात्र वीज़ा में 35% कटौती कर दी है.2023 में कनाडा ने 5 लाख 79 हज़ार वीज़ा जारी किए थे. लेकिन इस साल ये घट कर 3 लाख 64 हज़ार रह जाएंगे.इसके अलावा अलग-अलग क्षेत्रों और प्रांतों के परमिट की संख्या भी उनकी जनसंख्या के हिसाब से तय होगी. छात्रों को इन प्रांतों की मंज़ूरी भी अपने साथ लानी होगी.ये बंदिश अगले दो साल रहनी है.क्योंकि नए नियम 2025 के अंत में आएंगे.

कनाडा सरकार का क्या कहना है? 

कनाडा सरकार का कहना है कि इन नियमों का मकसद दुनिया भर के छात्रों को निजी संस्थानों द्वारा उठाए जाने वाले नाजायज़ किस्म के फायदों से बचाना है. बाहर से आ रहे छात्रों का असर वहां आवास और बाज़ारों पर दिख रहा है. लेकिन इन नए नियमो का सबसे ज़्यादा नुक़सान भारत के ही छात्रों को ही होगा, क्योंकि कनाडा के छात्र वीज़ा में सबसे बड़ा हिस्सा उन्हीं का है. 2023 में 2 लाख 15 हज़ार भारतीय छात्रो को वहां पढ़ने का वीज़ा मिला था.ये उस साल दिए गए कुल परमिट का 37 फ़ीसदी था. जबकि 2022 में 2 लाख 25 हज़ार से ज़्यादा छात्र कनाडा गए थे. 

भारतीय छात्रों की संख्या पर पड़ेगा असर

साफ है कि नए नियमों में भारतीय छात्रों की तादाद और कम हो जाएगी. कुछ नियम छात्रों के पोस्ट ग्रेजुएट कामकाज की शर्तों से भी जुड़े हैं. कुल मिलाकर अगले दो सालों में कनाडा जाने वाले छात्र कम हो जाएंगे. लेकिन फिर ऐसी हालत में इन छात्रों के पास क्या विकल्प हैं? बेशक, दुनिया भर में कई विश्वविद्यालय हैं जहां भारतीय छात्र जा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के कई कैंपस अब भारत में भी खुल रहे हैं. 

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भारतीय छात्रों के लिए कनाडा रहा है पहली पसंद

गौरतलब है कि विदेश में पढ़ाई करने के इच्छुक भारतीयों के लिए कनाडा पसंदीदा जगहों में से एक रहा है. विदेश मंत्रालय के पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक, 2 लाख से ज्यादा छात्रों ने कनाडा, अमेरिका और यूएई का रुख किया. ऑस्ट्रेलिया और यूके भी पसंदीदा स्थान थे, जिन्होंने क्रमशः लगभग 90,000 और 50,000 छात्रों को आकर्षित किया था. 2013 और 2022 के बीच, पढ़ाई के लिए कनाडा जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 260 प्रतिशत की भारी वृद्धि देखी गई थी. 

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