Indian Railway: कब बदलेंगे हालात? बिहार संपर्क क्रांति ट्रेन में जानवरों की तरह यात्रा करने के लिए मजबूर हैं यात्री

एक तरफ सरकार की तरफ से रेलवे के विकास को लेकर कई तरह के दावें होते रहे हैं. लेकिन दूसरी तरफ आज भी यात्री सुविधाओं का अभाव देखने को मिलता है.

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नई दिल्ली:

एक तरफ सरकार की तरफ से रेलवे के विकास को लेकर कई तरह के दावें होते रहे हैं. लेकिन दूसरी तरफ आज भी यात्री सुविधाओं का अभाव देखने को मिलता है. ये दृश्य किसी त्योहार का नहीं बल्कि रोजाना का है. नई दिल्ली से दरभंगा जाने वाली बिहार संंपर्क क्रांति एक्सप्रेस इस रूट की सबसे प्रमुख ट्रेन है. दिल्ली एनसीआर में रहने वाले मजदूर कामगार और स्लीपर क्लास में बमुश्किल यात्रा व्यय वहन कर सकने वाले हजारों यात्रियों का हुजूम रोजाना किसी तरह से आरक्षित डिब्बे में चढ़ने की जद्दोजहद से जूझता है. इतनी भीड़ के बावजूद बिहार संपर्क क्रांति ट्रेन सिर्फ 15 मिनट पहले प्लेटफार्म पर लगाई जाती है जिससे अफरातफरी मच जाती है.

जबकि एक दर्जन टीटीई प्लेटफार्म पर घंटों पहले से ही सामान्य श्रेणी के टिकटों पर पेनाल्टी वसूलते हुए दिख जाते हैं. जिसके आधार पर सामान्य श्रेणी के ठसाठस भरे कोच में चढ़ने से वंचित रह जाने वाले यात्री आरक्षित स्लीपर कोच में घुसने की पूरी कवायद करता है जैसा कि तस्वीरें बयां कर रही हैं. यात्रियों के बढ़ते दबाव के कारण जनसाधारण सामान्य श्रेणी की क्लोन ट्रेन चलाने की आवश्यकता है. लेकिन रेलवे की तरफ से एसी डब्बे वाली ट्रेनों को ही अधिक तरजीह दी जाती रही है.

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