भारतीय नौसेना को जल्द मिलेगा अत्याधुनिक गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट ‘हिमगिरि’

हिमगिरि 149 मीटर लंबा और 6,670 टन वजनी हिमगिरि, GRSE के 65 वर्षों के इतिहास में अब तक निर्मित सबसे बड़ा और सबसे उन्नत गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट है. इसकी अधिकतम गति 30 नॉटिकल माइल्स है.

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रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने उन्नत गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट ‘हिमगिरि' को भारतीय नौसेना को सौंप दिया है. यह युद्धपोत नौसेना के प्रोजेक्ट 17A के तहत GRSE द्वारा निर्मित तीन फ्रिगेट्स में से पहला है. हिमगिरि, नीलगिरी क्लास का तीसरा स्टेल्थ फ्रिगेट है. नौसेना इसे अगस्त के अंत तक विधिवत रूप से कमीशन करने की योजना बना रही है. इससे पहले आईएनएस नीलगिरी को इसी वर्ष जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नौसेना में शामिल किया गया था.

GRSE द्वारा निर्मित यह 801वां पोत है, जिनमें से 112 युद्धपोत हैं- यह उपलब्धि देश के किसी अन्य शिपयार्ड ने अब तक हासिल नहीं की है. एक नौसेना अधिकारी ने बताया कि यह नया फ्रिगेट बल की प्रगतिशील गाइडेड-मिसाइल क्षमताओं को अत्यधिक मजबूती देगा.

हिमगिरि: अत्याधुनिक युद्धपोत की विशेषताएं

149 मीटर लंबा और 6,670 टन वजनी हिमगिरि, GRSE के 65 वर्षों के इतिहास में अब तक निर्मित सबसे बड़ा और सबसे उन्नत गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट है. इसकी अधिकतम गति 30 नॉटिकल माइल्स है.

प्रोजेक्ट 17A के अंतर्गत बनाए जा रहे तीनों युद्धपोतों की कुल लागत ₹21,833.36 करोड़ से अधिक है. इसमें एक बड़ा हिस्सा MSME, स्टार्टअप्स और मूल उपकरण निर्माताओं (OEMs) को गया है, जिससे हज़ारों लोगों को रोज़गार मिला है.

इस युद्धपोत को ईस्टर्न नेवल कमांड के चीफ स्टाफ ऑफिसर (टेक्निकल), रियर एडमिरल रवनीश सेठ ने नौसेना की ओर से औपचारिक रूप से स्वीकार किया.

14 दिसंबर 2020 को लॉन्च किया गया हिमगिरि अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों से लैस है —
      •     ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलें (जहाज-रोधी और भूमि लक्ष्य भेदी दोनों)
      •     बराक-8 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल
      •     उन्नत AESA रडार प्रणाली

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यह युद्धपोत डीजल इंजनों और गैस टर्बाइनों के संयोजन से संचालित होता है और एंटी-एयर, एंटी-सर्फेस तथा एंटी-सबमरीन अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है. यह सोनार, कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम और मल्टी-फंक्शन डिजिटल रडार से सुसज्जित है, जो दूर से ही खतरे की पहचान कर उसे ट्रैक और इंटरसेप्ट कर सकता है.

“हिमगिरि में न केवल बेहतरीन संचालन क्षमताएं हैं, बल्कि यह उन्नत जीवनरक्षा प्रणाली और उच्च युद्ध-क्लास सर्वाइवलिटी भी प्रदान करता है.”

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इसमें 225 कर्मियों के लिए आरामदायक आवासीय सुविधा उपलब्ध है और यह हेलिकॉप्टर संचालन के लिए पूर्ण विमानन सुविधा से लैस है.

स्वदेशी निर्माण का प्रतीक

प्रोजेक्ट 17A के तहत बनाए जा रहे सभी सात फ्रीगेट्स में 75% उपकरण स्वदेशी कंपनियों से लिए गए हैं. इसका डिज़ाइन और स्टील भी पूरी तरह स्वदेशी है, जिसे नेवी वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो ने तैयार किया है.

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देश में ही बन रहे हैं स्टेल्थ गाइडेड-मिसाइल फ्रीगेट

प्रोजेक्ट 17A के तहत कुल 7 नीलगिरी क्लास गाइडेड-मिसाइल स्टेल्थ फ्रीगेट नौसेना के लिए बनाए जा रहे हैं. 2019 से 2022 के बीच मझगांव डॉकयार्ड और गार्डन रीच ने इनमें से पांच जहाज लॉन्च कर दिए हैं. सभी के सी-ट्रायल्स (समुद्री परीक्षण) जारी हैं. इनके नौसेना में शामिल होने से ब्लू वाटर नेवी के तौर पर भारत की क्षमता में जबरदस्त वृद्धि होगी.

फ्रीगेट्स की ताकत

इस समय भारतीय नौसेना के पास गाइडेड-मिसाइल स्टेल्थ फ्रीगेट्स की संख्या उल्लेखनीय है:
      •     प्रोजेक्ट 11356 के तहत रूस से प्राप्त 10 फ्रिगेट, जिनमें
      •     3 तलवार क्लास,
      •     3 तेग क्लास,
      •     और 2 नए तुशिल व तमाल शामिल हैं
(2 और आने बाकी हैं)
      •     प्रोजेक्ट 17 के तहत 3 शिवालिक क्लास फ्रीगेट
      •     प्रोजेक्ट 17A के तहत पहले INS नीलगिरी की तैनाती हो चुकी है

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इस तरह आने वाले समय में भारतीय नौसेना के पास कुल 20 स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट्स होंगे. इन फ्रीगेट्स के नाम भारत की पर्वत श्रृंखलाओं के नाम पर रखे गए हैं:- शिवालिक, शयाद्री, सतपुड़ा, नीलगिरी, हिमगिरि, तारागिरी, उदयगिरी, दूनागिरी, महेंद्रगिरि और विंध्यागिरी.
 

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