युद्धपोत ‘महेंद्रगिरि’ का जलावतरण, उपराष्‍ट्रपति ने बताया समुद्री सुरक्षा के लिए मील का पत्‍थर

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि जलावतरण के बाद ‘महेंद्रगिरि’ भारत की समुद्री शक्ति के दूत के रूप में समुद्र में पूरे गर्व से तिरंगा लहराएगा.’’

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यह युद्धपोत ‘परियोजना 17-ए' के तहत निर्मित सातवां जहाज है.
मुंबई :

भारतीय नौसेना अपनी ताकत में लगातार इजाफा कर रही है. मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा निर्मित ‘स्टील्थ' युद्धपोत ‘महेंद्रगिरि' का शुक्रवार को मुंबई में जलावतरण किया गया. इस युद्धपोत का नाम ओडिशा में पूर्वी घाट में सबसे ऊंची पर्वत चोटी के नाम पर रखा गया है. यह युद्धपोत ‘परियोजना 17-ए' के तहत निर्मित सातवां जहाज है.  यह युद्धपोत उन्नत युद्धक प्रणालियों, अत्याधुनिक हथियारों, सेंसर और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम से लैस है. इस दौरान आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि थे. इस मौके पर उनकी पत्नी सुदेश भी मौजूद थीं. धनखड़ ने कहा कि यह उचित है कि युद्धपोत का जलावतरण मुंबई जैसे शहर में हुआ. उन्‍होंने इसे देश की समुद्री सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया.     

धनखड़ ने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि जलावतरण के बाद ‘महेंद्रगिरि' भारत की समुद्री शक्ति के दूत के रूप में समुद्र में पूरे गर्व से तिरंगा लहराएगा.''

उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरे विश्वास के साथ हमारे सुरक्षा बल को बधाई देता हूं. वे दुनिया की सुरक्षा के लिए व्यापक रूप से खुद को बेहतर बनाना जारी रखेंगे.''

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उन्होंने कहा, ‘‘सेना, नौसेना और वायुसेना में 10,000 से अधिक महिला कर्मियों की मजबूत उपस्थिति के साथ भारतीय सशस्त्र बल ने लैंगिक समानता की दिशा में भी काफी प्रगति की है.''

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‘महेंद्रगिरि' के जलावतरण को देश के समुद्री इतिहास में उल्लेखनीय मील का पत्थर बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह ‘परियोजना 17-ए' के तहत निर्मित नीलगिरि श्रेणी के युद्धपोत बेड़े का सातवां और आखिरी युद्धपोत है.''

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उन्होंने कहा, ‘‘ ‘आत्म निर्भरता' की दिशा में हमारी दृढ़ प्रतिबद्धता के तहत ‘नीलगिरि' श्रेणी के उपकरणों और प्रणालियों के लिए 75 प्रतिशत ऑर्डर स्वदेशी कंपनियों को दिए गए.''

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धनखड़ ने कहा कि ‘महेंद्रगिरि' का जलावतरण नौसेना को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में की गई हमारे राष्ट्र की अतुलनीय प्रगति का उपयुक्त उदाहरण है.''

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि महेंद्रगिरि नौसेना के बढ़ते बेड़े के लिए मूल्यवान साबित होगा. उन्होंने कहा, ‘‘गतिशीलता, पहुंच और लचीलेपन जैसी विशेषताओं के साथ पोत की विविधता महेंद्रगिरि को भारत की समुद्री शक्ति का एक बेजोड़ हथियार बनाएगी.''

मेक इन इंडिया की तारीफ 
धनखड़ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया' पहल की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में निवल सुरक्षा प्रदाता के रूप में उभरा है. 

पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियां लगातार बनी हुई : एडमिरल आर हरि कुमार
एडमिरल कुमार ने कहा कि युद्धपोत का जलावतरण एक महत्वपूर्ण समय पर हुआ है. उन्होंने कहा कि राष्ट्र की आकांक्षात्मक गति को बनाए रखने के लिए सुरक्षा की एक सुनिश्चित छतरी की आवश्यकता बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियां लगातार बनी हुई हैं. उन्‍होंने कहा कि समुद्री डकैती, नशीली दवाओं की तस्करी और प्राकृतिक आपदाओं जैसी गैर-पारंपरिक चुनौतियों का संकट भी जारी है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण ‘सागर' से प्रेरित होकर नौसेना ना केवल भारत के राष्ट्रीय समुद्री हितों को आगे बढ़ाने, उनकी रक्षा करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए सेवारत है, बल्कि क्षेत्र में सभी को प्रभावित करने वाले सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए भी सक्रिय है. जलावतरण समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी उपस्थित थे. 

सेल ने की 28,000 टन स्टील की आपूर्ति
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने हाल ही में भारत की  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा लॉन्च "विंध्यगिरि" नामक छठे युद्धपोत के निर्माण के लिए भी समान मात्रा में विशेष स्टील की आपूर्ति की थी. P17 A परियोजना के तहत मेसर्स मझगांव डॉक लिमिटेड द्वारा कुल चार जहाजों और मेसर्स जीआरएसई द्वारा तीन जहाजों का निर्माण शामिल है. मझगांव डॉक लिमिटेड द्वारा तीन जहाजों का लांच सितंबर 2019 और सितंबर 2022 के बीच हुआ, जबकि मेसर्स जीआरएसई ने दिसंबर 2020 और अगस्त 2023 के बीच तीन जहाजों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. इन जहाजों के लिए स्टील आपूर्ति के मामले में सेल का योगदान लगभग 28,000 टन है. 

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