यमुना में फंसी नहीं है भारतीय नौसेना की नाव, उसे बांधा गया है : उपराज्यपाल कार्यालय

LG दफ़्तर ने एक बयान जारी कर कहा है कि नौसेना की 11-मीटर लंबी नाव को सिग्नेचर ब्रिज के पास बांध दिया गया था, क्योंकि कोच्चि से नाव को लेकर आने वाला ट्रेलर यमुना नदी में किसी अन्य उपयुक्त स्थान तक नहीं पहुंच सकता था.

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LG ऑफ़िस के मुताबिक, लेफ्टिनेंट गवर्नर विनय कुमार सक्सेना की पहल पर भारतीय नौसेना से नाव की मांग की गई थी...
नई दिल्ली:

यमुना की गाद को साफ़ करने के लिए बुलाई गई भारतीय नौसेना की नौका के गाद में ही फंस जाने की ख़बरों का दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) कार्यालय ने खंडन किया है. LG दफ़्तर ने एक बयान जारी कर कहा है कि नौसेना की 11-मीटर लंबी नाव को सिग्नेचर ब्रिज के पास बांध दिया गया था, क्योंकि कोच्चि से नाव को लेकर आने वाला ट्रेलर यमुना नदी में किसी अन्य उपयुक्त स्थान तक नहीं पहुंच सकता था.

गौरतलब है कि बुधवार को ख़बरें आई थीं कि यमुना की गाद साफ़ करने के लिए लाई गई भारतीय नौसेना की बोट, जिसे 'बारहसिंगा' नाम दिया गया है, उसी गाद में फंस गई है, और कई दिन से फंसी खड़ी है. इन ख़बरों के बाद LG ऑफ़िस से एक बयान जारी कर कहा गया, "भारतीय नौसेना की 11-मीटर लम्बी नाव एक ट्रेलर पर कोच्चि से लाई गई थी... इसे 25 मई को कोच्चि से ले जाया गया था और 3 जून को दिल्ली पहुंची... नाव को पानी पर तैरने के लिए कम से कम 1.7 मीटर की गहराई की ज़रूरत होती है..."

बयान में कहा गया है, "नौका को नदी में नौकायन क्षमता का पता लगाने और परिवहन, मनोरंजन और पर्यटन के लिए अंतर्देशीय जलमार्ग के रूप में स्वच्छ चैनल के उपयोग की संभावना तलाशने के लिए लाया गया है..."

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बयान के मुताबिक, भारतीय नौसेना ने अपनी टीमों के ज़रिये देहरादून व कारवार से यमुना नदी का हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण किया था. दी गई जानकारी के अनुसार, 8 जून को किए गए इस सर्वेक्षण में यमुना नदी में 0.9 मीटर से लेकर 4 मीटर से अधिक तक की गहराई का पता चला. बयान में कहा गया है कि नदी में 1.7 मीटर या उससे कम गहरे हिस्से को अलग से चिह्नित कर दिया गया है. नाव को चला पाने की खातिर आदर्श गहराई का उपयुक्त चैनल बनाने के लिए अधिकारियों ने नदी में ड्रेजिंग उपकरण तैनात किए हैं. बयान में यह भी कहा गया है कि ड्रेजिंग का काम 20 जून तक पूरा होने की संभावना है.

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LG ऑफ़िस के मुताबिक, लेफ्टिनेंट गवर्नर विनय कुमार सक्सेना की पहल पर भारतीय नौसेना से नाव की मांग की गई थी. नाव के लिए उनके अनुरोध को सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण और दिल्ली सरकार के पर्यटन विभागों के माध्यम से भेजा गया था.

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