भारतीय खगोलविदों ने की एक नए exoplanet और सूर्य से भी अधिक गर्म स्‍टार्स की खोज

नया एक्सोप्लैनेट, जिसे TOI 1789b कहा जाता है, की खोज प्रोफेसर अभिजीत चक्रबर्ती और उनकी टीम ने एडवांस्‍ड रेडिकल वेलोटिक अबू स्‍काई सर्च (PARAS) ऑप्टिल फाइबर फेडस्‍पेक्‍ट्राग्राफ का इस्‍तेमाल करके की.

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भारतीय खगोलविदों ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए दो महत्‍वपूर्ण खोज की हैं (प्रतीकात्‍मक फोटो)
नई दिल्‍ली:

भारतीय खगोलविदों ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए दो महत्‍वपूर्ण खोज की हैं.  उन्‍होंने बृहस्पति ग्रह की तुलना में 1.4 गुणा बड़ा एक्सोप्लैनेटऔर सूर्य की भी अधिक गर्म, दुर्लभ श्रेणी का रेडियो स्‍टार खोज निकाला है. पहली खोज अहमदाबाद की फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (PRL) ने की है. टीम ने हाल ही में हाल ही में एक एक्सोप्लैनेट की खोज की है जो बृहस्‍पति  की साइज से करीब 1.4 गुना बड़ा है जो एक काफी पुराने तारे की परिक्रमा कर रहा है. यह हमारे सूर्य से 1.5 गुना बड़ा है और 725 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. नया एक्सोप्लैनेट, जिसे TOI 1789b कहा जाता है, की खोज प्रोफेसर अभिजीत चक्रबर्ती और उनकी टीम ने एडवांस्‍ड रेडिकल वेलोटिक अबू स्‍काई सर्च (PARAS) ऑप्टिल फाइबर फेडस्‍पेक्‍ट्राग्राफ का इस्‍तेमाल करके की जो भारत में अपनी तरह का पहला है. पीआरएल का  1.2 मीटर का यह टेलीस्‍कोप इसकी माउंट आबू आब्‍जर्वेटरी में है.  

एक्सोप्लैनेट का द्रव्‍यमान, बृहस्पति ग्रह का करीब 70 फीसदी पाया है जबकि इसका आकार बृहस्पति ग्रह की तुलना में  1.4 गुणा अधिक है. शोधकर्ताओं ने यह खोज PARAS का उपयोग करके की जो एक्सोप्लैनेट के द्रव्‍यमान को मापने में समर्थ है. मेजरमेंट यानी माप दिसंबर 2020 और मार्च 2021 के बीच लिए गए. TOI 1789bअपने सूर्य की परिक्रमा केवल 3.2  दिन में पूरी करता है.दूसरी खोज, पुणे के निकट स्थित खगोलविदों के एक समूह ने वृहत मीटरवेव रेडियो दूरदर्शी (जीएमआरटी) का इस्तेमाल करते हुए की, इन्‍होंने दुर्लभ श्रेणी मैन-सीक्वेंस रेडियो पल्स या एमआरपी उत्सर्जकों के आठ तारों की खोज की है.प्रमुख अनुसंधान संस्थान एनसीआरए ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. पुणे स्थित राष्ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केंद्र (NCRA) के खगोल विज्ञानियों के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक समूह ने रेडियो तारों की दुर्लभ श्रेणी का पता लगाया जो असामान्य शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्रों के साथ सूर्य से भी गर्म होते हैं. NCRAने प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि इस दल ने जीएमआरटी का उपयोग करके पहले भी ऐसे तीन तारे खोजे हैं. विज्ञप्ति के अनुसार अब तक ऐसे कुल 15 एमआरपी का पता चला है जिनमें से 11 जीएमआरटी की मदद से खोजे गये हैं. इनमें से आठ 2021 में ही खोजे गये हैं.

विज्ञप्ति में बताया गया कि उन्नत जीएमआरटी की अधिक बैंडविड्थ और उच्च संवेदनशीलता इसमें मददगार रही.इसमें कहा गया, ‘‘ये खोज जीएमआरटी के साथ जारी एक सर्वेक्षण के परिणामस्वरूप सामने आई हैं. सर्वेक्षण की शुरुआत एमआरपी के रहस्य को सुलझाने के लिहाज से विशेष रूप से हुई थी.'' संस्थान ने कहा कि एमआरपी सूर्य से अधिक गर्म तारे होते हैं. शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र और अधिक मजबूत स्टेलर विंड के कारण वे प्रकाशपुंज की तरह चमकते रेडियो कंपन उत्सर्जित करते हैं.सबसे पहले एमआरपी की खोज 2000 में की गयी थी, लेकिन उन्नत जीएमआरटी के कारण ही पिछले कुछ सालों में इनकी अधिक संख्या में खोजा सका. (भाषा से भी इनपुट)

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