उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में रविवार 8 अक्टूबर को 91वां वायुसेना दिवस समारोह मनाया गया. गंगा यमुना संगम पर पहली बार फ्लाई पास्ट का आयोजन हुआ. इसमें 120 एयरकाफ्ट ने हिस्सा लिया.
संगम पर वायु प्रदर्शन दोपहर 2:44 बजे शुरू हुआ. सबसे पहले दुश्मन के राडार से बचकर निकलने और घातक हमले करने का प्रदर्शन करते हुए संगम पर चिनूक हेलिकॉप्टर ने अपनी ताकत का एहसास कराया.
इस दौरान एएन-32 विमान की मदद से आकाशगंगा समूह के 10 वायुवीरों ने जहां आठ हजार फीट ऊंचाई से छलांग लगाकर अदम्य साहस का परिचय दिया. आठ हजार फीट ऊंचाई से हवा को चीरकर गरजते राफेल, सुखोई, सूर्यकिरण के खतरनाक जखीरे भारत की असीम सैन्य शक्ति के साक्षी बने.
वायुसेना दिवस समारोह में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना का पराक्रम और शौर्य लोगों ने देखा. लाखों लोग वायुसेना की ताकत देखने संगम पर पहुंचे.
आकाशगंगा टीम के स्काई डाइवर्स ने पैराशूट के सहारे करतब दिखाए. पैराशूट से कभी तिंरगा तो कभी कोई और फॉर्मेशन बनाया गया.
इस समारोह में राफेल, तेजस और सुखोई ने दमखम दिखाया. जगुआर और मिराज 2000 ने भी करतब दिखाए.
समारोह में मिग 21 ने वायुसेना दिवस में आखिरी बार उड़ान भरी. इसके बाद इसे विदा दे दिया गया. मिग-21 को 1963 में वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था. आजादी के बाद 1965,1971 और 1999 में हुए युद्धों में इसने दुश्मनों के दांत खट्टे करने में अहम भूमिका निभाई.
देसी अटैक हेलीकॉप्टर प्रचंड के साथ अपाचे ने दिखाया भी अपना जलवा दिखाया. पी 8 आई ने फ्लाई पास्ट में हिस्सा लिया. वायुसेना के ब्रांड एबेंसडर सूर्यकिरण टीम ने भी आसमान में स्टंट किए.
वायुसेना दिवस समारोह में 9 हॉक विमानों की टीम ने हवा में गज़ब की कलाबाज़ी की. दुनिया की इकलौती देसी हेलीकॉप्टर सारंग के हैरतअंगेज कारनामे देखकर लोग हैरान रह गए. इस साल की थीम “IAF – Airpower Beyond Boundaries” रखी गई.
भारतीय वायु सेना की आधिकारिक तौर पर स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को हुई थी और यही वजह है कि इस दिन को हर साल भारतीय वायु सेना की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है.