विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी के साथ व्यापक वार्ता के दौरान शनिवार को कहा कि भारत अपने सहयोगी देशों से यह अपेक्षा करता है कि वे आतंकवाद को कतई बर्दाशत नहीं करने की उसकी नीति को समझें. उन्होंने कहा कि भारत कभी भी 'अपराध करने वालों' को पीड़ितों के समकक्ष रखने को स्वीकार नहीं करेगा. जयशंकर की यह टिप्पणी उस पृष्ठभूमि में आई है जब पिछले माह भारत और पाकिस्तान के बीच हुए चार दिन के सैन्य संघर्ष के बाद कई देशों द्वारा दोनों को एक ही तराजू पर तौलने को लेकर नयी दिल्ली में असहजता महसूस की जा रही है. विदेश मंत्री की यह टिप्पणी वैश्विक समुदाय को स्पष्ट संदेश देने का प्रयास प्रतीत होती है.
ब्रिटेन विदेश मंत्री ने पहलगाम हमले की निंदा की
आज सुबह दिल्ली पहुंचने के कुछ घंटों बाद लैमी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की, जिन्होंने सीमापार आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में ब्रिटेन के समर्थन की सराहना की. बैठक के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की, जबकि मोदी ने आतंकवाद और इसका समर्थन करने वालों के खिलाफ निर्णायक अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया.
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, “हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी में उल्लेखनीय प्रगति में उनके महत्वपूर्ण योगदान की (मैं) सराहना करता हूं, जिसे हाल ही में संपन्न एफटीए से और मजबूती मिली है. सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में ब्रिटेन के समर्थन की (मैं) सराहना करता हूं.”
विदेश मंत्रालय के अनुसार, मोदी ने भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते और दोहरे योगदान समझौते (डीसीसी) के हाल ही में संपन्न होने को एक “रणनीतिक मील का पत्थर” बताया, जो विविध क्षेत्रों में साझेदारी की संभावनाओं को खोलेगा. लैमी के साथ बैठक के दौरान टेलीविज़न पर प्रसारित अपने संबोधन में जयशंकर ने “बर्बर” पहलगाम आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करने के लिए ब्रिटेन का आभार व्यक्त किया और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में लंदन द्वारा दिखाई गई एकजुटता और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया.
उन्होंने कहा, ‘‘हम आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति का अनुसरण करते हैं और अपने सहयोगी देशों से अपेक्षा करते हैं कि वे इसे समझें। साथ ही, हम कभी भी अपराधियों को पीड़ितों के समकक्ष रखने को स्वीकार नहीं करेंगे.' माना जाता है कि भारतीय पक्ष ने पाकिस्तान की सरजमीं से चलने वाले सीमापार आतंकवाद से निपटने की अपनी चुनौती को स्पष्ट किया. ब्रिटेन उन देशों में शामिल था जो पिछले माह 7-10 मई तक सैन्य संघर्ष के दौरान तनाव को कम करने के प्रयास में भारत और पाकिस्तान दोनों के संपर्क में थे. लैमी 16 मई को इस्लामाबाद की दो दिवसीय यात्रा पर भी गए थे जिस दौरान उन्होंने सैन्य संघर्ष रोकने के लिए भारत तथा पाकिस्तान के बीच 10 मई को बनी सहमति का स्वागत किया.
जयशंकर ने हाल में हुए भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते और दोहरे अंशदान समझौते को ‘‘वास्तव में मील का पत्थर'' बताया. जयशंकर ने कहा, ‘‘हाल में हुआ भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता और दोहरा अंशदान समझौता वास्तव में एक मील का पत्थर है जो न केवल हमारे द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देगा, बल्कि हमारे संबंधों के अन्य रणनीतिक पहलुओं पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा.''
ब्रिटेन द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि विदेश मंत्री लैमी ने ''प्रवासन साझेदारी, जिसमें दोनों देशों के नागरिकों की सुरक्षा और सीमाओं की सुरक्षा के लिए चल रहा कार्य शामिल है'', में हुई प्रगति का भी स्वागत किया. इसमें कहा गया कि प्रवासन से निपटना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बनी हुई है, और लैमी घरेलू स्तर पर ब्रिटेन की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए वैश्विक साझेदारों के साथ अंतरराष्ट्रीय रूप से काम करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
लैमी ने कहा, ‘‘विदेश मंत्री के तौर पर मेरे पहले विदेशी दौरों में भारत भी शामिल रहा और तब से यह हमारी ‘परिवर्तनकारी योजना' को क्रियान्वित करने में एक प्रमुख भागीदार रहा है. हमारे संबंध लगातार मजबूत होते गए हैं.'' उन्होंने कहा कि भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करना दोनों देशों की महत्वाकांक्षाओं की शुरुआत है.
"मिलकर काम करना चाहते हैं"
बयान में लैमी के हवाले से कहा गया, ‘‘हम एक नये वैश्विक युग के लिए भारत के साथ एक आधुनिक साझेदारी का निर्माण कर रहे हैं. हम विकास में बढ़ोतरी, नयी-नयी प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने, जलवायु संकट से निपटने और हमारी प्रवास प्राथमिकताओं को पूरा करने और अपने लोगों के लिए अधिक सुरक्षा प्रदान करने के मुद्दों, संबंधों को ज्यादा मजबूत बनाने और सहयोग करने के लिए मिलकर काम करना चाहते हैं.''
ब्रिटेन के विदेश मंत्री भारत के प्रमुख कारोबारियों से भी मिलेंगे ताकि इस बात पर चर्चा की जा सके कि दोनों पक्ष ब्रिटेन में निवेश को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं. भारत को 2023-24 में जिन देशों से सबसे ज्यादा निवेश मिला उनमें ब्रिटेन दूसरे नंबर पर था. जयशंकर ने अपने बयान में संबंधों को मजबूत करने के लिए हाल में शुरू की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ‘‘भारत की आपकी (ब्रिटेन के विदेश मंत्री) पिछली यात्रा के बाद से, हम दोनों ने महत्वपूर्ण पहल की हैं और उन पहलों में अच्छी प्रगति हुई है.''
जयशंकर ने प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल (टीएसआई) का उल्लेख किया और कहा कि यह कृत्रिम मेधा, सेमीकंडक्टर, दूरसंचार, क्वांटम, स्वास्थ्य-तकनीक, जैव-तकनीक, महत्वपूर्ण खनिजों और उन्नत सामग्रियों के रणनीतिक प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने में मदद करेगा. उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि हमने रणनीतिक निर्यात और प्रौद्योगिकी सहयोग वार्ता भी शुरू की है, जिसकी पहली बैठक इस सप्ताह हुई.''
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘शिक्षा क्षेत्र में बहुत अच्छा सहयोग है और मुझे विश्वास है कि कई और विश्वविद्यालय भारत में अपने परिसर स्थापित करने की योजना बना रहे हैं. वहीं, दोनों देशों की जनता के स्तर पर संपर्क को लेकर हमें यह सौभाग्य प्राप्त हुआ, और मुझे व्यक्तिगत रूप से यह सम्मान मिला, कि मैंने मैनचेस्टर और बेलफास्ट में दो नए वाणिज्य दूतावासों का उद्घाटन किया.'' यह वार्ता भारत-ब्रिटेन साझेदारी को और गहरा और विविधतापूर्ण बनाने पर केंद्रित है.