"भारत बहुत अच्छी स्थिति में था...", नई दिल्ली घोषणापत्र के रास्ते में आई अड़चन पर बोले जी20 कोऑर्डिनेटर हर्षवर्धन शृंगला

जी20 शिखर सम्मेलन के चीफ़ कोऑर्डिनेटर हर्षवर्धन शृंगला ने कहा कि एक सर्वसम्मत दस्तावेज़, जिसमें सभी साझीदार मुल्क अपनी-अपनी ज़रूरतों के अनुरूप एक भाषा पर सहमत हुए, का हासिल होना जी20 की प्रक्रियाओं की अहमियत का सबूत है.

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नई दिल्ली:

जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान इंसानी समाज के सामने मौजूद सबसे अहम मुद्दों - टिकाऊ विकास, बढ़ोतरी, बहुपक्षीय संस्थानों में बदलाव, महिला-नीत तरक्की - पर आम सहमति बन गई थी, लेकिन एक भू-राजनीतिक मुद्दे, यानी यूक्रेन युद्ध को लेकर जी20 सदस्य देशों में बने वैचारिक मतभेद के चलते अड़चन आ गई थी.

यह जानकारी जी20 के दिल्ली में आयोजित शिखर सम्मेलन के चीफ़ कोऑर्डिनेटर हर्षवर्धन शृंगला ने दी, और बताया कि भारत ने अपनी अध्यक्षता के सालभर में क्या-क्या, और कैसे-कैसे हासिल किया.

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NDTV से खास बातचीत के दौरान हर्षवर्धन शृंगला का कहना था कि भारत इस मुद्दे को संभालने के लिए काफ़ी अच्छी स्थिति में है, क्योंकि वह न सिर्फ़ जी7 संगठन (औद्योगिक रूप से विकसित लोकतांत्रिक देशों - अमेरिका, कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान तथा यूनाइटेड किंगडम - का समूह) का नियमित आमंत्रित सदस्य है, बल्कि भारत QUAD (रणनीतिक सुरक्षा वार्ता के मुद्दे पर बना ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान तथा अमेरिका का संगठन) का भी सदस्य है, और BRICS (उभरती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं - ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ़्रीका) तथा रूस-द्वारा बनाए गए यूरेशियाई राजनैतिक, आर्थिक, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा तथा रक्षा के मुद्दों से जुड़े संगठन शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन (SCO) का भी सदस्य है.

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हर्षवर्धन शृंगला ने कहा कि एक सर्वसम्मत दस्तावेज़, जिसमें सभी साझीदार मुल्क अपनी-अपनी ज़रूरतों के अनुरूप एक भाषा पर सहमत हुए, का हासिल होना जी20 की प्रक्रियाओं की अहमियत का सबूत है, दुनियाभर से मुद्दों से निपटने के लिए जी20 जैसे संगठन की ज़रूरत का सबूत है, और वैश्विक स्तर पर भारत की नेतृत्व क्षमता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊंचे कद का भी सबूत है.

जी20 कोऑर्डिनेटर के मुताबिक, नई दिल्ली घोषणापत्र के भू-राजनीतिक खंड में लिखी गई भाषा पर भारत के रुख की छाप साफ़-साफ़ दिखाई देती है - संयुक्त राष्ट्र चार्टर का ज़िक्र किया जाना, अंतरराष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का संदर्भ दिया जाना, ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए कूटनीति और वार्ता का तरीका अख़्तियार करने का सुझाव दिया जाना, और यह रुख स्पष्ट करना कि आज का युग युद्ध का युग नहीं है.

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