- भारत और अमेरिका के बीच 25 अगस्त को प्रस्तावित व्यापार बातचीत की तारीख में अभी तक कोई बदलाव नहीं हुआ है
- संसद की स्थायी समिति को विदेश सचिव ने अमेरिका-भारत ट्रेड वार्ता और टैरिफ पर विस्तृत जानकारी दी
- अमेरिकी टैरिफ पर सांसदों ने चिंता जताई और अन्य देशों के मुकाबले भारत पर अधिक टैरिफ लगाने पर सवाल उठाए
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लगाए गए 25% रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर लगातार चिंता बढ़ रही है. इसी बीच भारत सरकार ने विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति को बताया है कि भारत और अमेरिका के बीच 25 अगस्त को होने वाली प्रस्तावित बातचीत के में अब तक कोई बदलाव नहीं किया गया है. यानी इस बातचीत में टैरिफ को लेकर नेगोशिएशन हो सकता है.
थरूर ने दी जानकारी
सोमवार 11 अगस्त को संसद में हुई संसदीय समिति की बैठक के बाद चेयरमैन शशि थरूर ने कहा, "हर नेगोशिएशन के बाद अगले दौर के नेगोशिएशन की डेट फिक्स की जाती है. 25 अगस्त की तारीख जो तय की गई थी अब तक उसमें कोई बदलाव नहीं है. अगर अमेरिका के कोई मुद्दे हैं तो उन्हें हमें बताना होता है, लेकिन अभी तक अमेरिका ने ऐसा कुछ नहीं बताया है".
तीन घंटे तक चली बैठक में विदेश सचिव विक्रम मिश्री और वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के सामने भारत की विदेश नीति में वर्तमान घटनाक्रम, विशेष रूप से अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता और टैरिफ के संदर्भ में' डीटेल्ड प्रेजेंटेशन दिया. इस दौरान सांसदों ने दोनों अधिकारियों से करीब कई सवाल पूछे.
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सांसदों के सवालों का दिया जवाब
शशि थरूर ने कहा कि विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका के साथ रिश्ते बहुआयामी हैं, उन्हें सिर्फ ट्रेड के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक एक सांसद ने पूछा कि ट्रंप प्रशासन ने वियतनाम, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों पर बहुत कम टैरिफ लगाया है, लेकिन भारत पर ज्यादा रेसिप्रोकल टैरिफ लगाकर क्यों निशाना बनाया है? वहीं एक दूसरे सांसद ने भारत की अर्थव्यवस्था पर अमेरिका के हाई रेसिप्रोकल टैरिफ के विनाशकारी प्रभाव पर चिंता व्यक्त की. कॉमर्स सेक्रेटरी सुनील बर्थवाल ने विस्तार से ट्रेड नेगोटिएशन पर सांसदों को ब्रीफ किया और उनके सवालों पर स्पष्टीकरण दिया.
पाक आर्मी चीफ के बयान पर भी सवाल
बैठक में पाकिस्तानी आर्मी के प्रमुख आसिम मुनीर के खुलेआम अमेरिकी धरती से 'परमाणु युद्ध' की चेतावनी का मुद्दा भी उठा. अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा के टाम्पा में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुनीर ने धमकी दी थी कि अगर उनके देश को भविष्य में भारत के साथ युद्ध में अस्तित्व के खतरे का सामना करना पड़ा तो वह "आधी दुनिया" को अपने साथ ले डूबेंगे. मुनीर ने कहा था, "हम एक परमाणु राष्ट्र हैं. अगर हमें लगता है कि हम खत्म हो रहे हैं, तो हम आधी दुनिया को अपने साथ डूबेंगे."
सूत्रों के मुताबिक एक सांसद ने अमेरिका में पाक सेना प्रमुख मुनीर के दिए गए बयान पर चिंता जताई और पूछा कि इसका कड़ा खंडन क्यों नहीं किया गया है. यह सुझाव दिया गया कि भारत को इस मुद्दे को अमेरिका के सामने मजबूती से उठाना चाहिए. विदेश सचिव ने कहा कि इस बारे में एक स्टेटमेंट विदेश मंत्रालय ने जारी किया है. न्यूक्लियर ब्लैकमेल कभी भारत सहन नहीं करेगा. मुनीर ने हमारे एक दोस्त देश की जमीन पर ये कहा ये हमें अच्छा नहीं लगा.
अमेरिका से कई तरह के संबंध
सूत्रों के मुताबिक, विदेश सचिव ने अपने प्रेजेंटेशन में कहा कि भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड के अलावा कई सामरिक महत्व के मोर्चे पर करीबी संबंध हैं. उन्होंने जिक्र किया कि तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने में अमेरिका ने मदद की. पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव का भी अमेरिका ने समर्थन किया था.
साथ ही, अमेरिका ने टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित किया था. भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों पर विदेश सचिव ने दोहराया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, 22 अप्रैल से 17 जून तक नेतृत्व स्तर पर दोनों देशों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी.