- अमेरिका और भारत के बीच छह पी 8 आई समुद्री टोही विमानों के सौदे पर बातचीत के लिए अमेरिकी दल भारत आ रहा है
- भारतीय नौसेना के पास पहले से 12 पी 8 आई विमान हैं, और छह अतिरिक्त विमानों की खरीद की मंजूरी मिली है
- पी 8 आई विमान लंबी दूरी की समुद्री निगरानी करता है और दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने में सक्षम है
अमेरिका से जारी टैरिफ वॉर के बीच अमेरिका और भारत के बीच समुद्री टोही विमानों की एक ताज़ा डील जल्द ही हो सकती है. इस सौदे पर बातचीत करने के लिए अमेरिकी अधिकारियों और विमान बनाने वाली कंपनी बोइंग का एक संयुक्त दल मंगलवार को भारत आ रहा है. यह दल करीब 4 दिन तक देश में रहेगा और इस दौरान भारतीय नौसेना के लिये छह पी 8 आई समुद्री टोही विमानों के सौदे पर बातचीत होगी.
समुद्री निगरानी के मामले में इस टोही विमान का कोई सानी नहीं है. भारतीय नौसेना के पास पहले से ऐसे 12 लंबी दूरी के समुद्री निगरानी पी 8 आई विमान हैं, अमेरिकी से हुए सौदे के तहत 2009 में 8 और 2016 में 4 पी 8 आई विमान लिए गए. हालांकि, नौसेना ने 10 और पी 8 आई विमानों की इच्छा जताई थी. रक्षा खरीद परिषद ने छह अतिरिक्त पी 8 आई विमान खरीदने की मंजूरी दी थी. अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट से 2021 में इन विमानों के सौदे की मंजूरी मिली. लंबी दूरी के लिये डिजाइन किये इस विमान से नौसेना की क्षमताओं में काफी इजाफा होगा.
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ शुरू किए गए ऑपरेशन सिन्दूर और पूर्वी लद्दाख में चीन से जारी तनातनी के दौरान भी इस टोही विमान ने अपनी उपयोगिता साबित की थी. इस विमान की आंखों से दुश्मन की पनडुब्बी तक नहीं बच सकती है. यानी समंदर की गहराई में छुपी पनडुब्बी को ढ़ूंढ़कर पी 8 आई उसको निशाना बना सकता है. विमान 41,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है. करीब 900 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. साथ ही इसमें आसमान में ही ईधन भरने की क्षमता भी है. पी 8 आई एक बार में 8,300 किलीमीटर तक की उड़ान भर सकता है. इसमें 11 हार्ड प्वाइंट बने हैं, 5 अंदर और 6 बाहर हैं. यह विमान एंटी शिप मिसाइल, हारपून, क्रूज मिसाइल, लाइट वेट टॉरपीडो, एंटी सबरमरीन चार्ज भी लॉन्च कर सकता है. इतना ही नहीं इस विमान में पावरफुल मल्टी मिशन सर्फेस सर्च राडार भी लगे हैं.
हाल के सालों में जिस तरह से हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान की पनडुब्बियों की गतिविधियां बढ़ी हैं और चीनी युद्धपोतों की लगातार भारत के समुद्री तट के करीब आवाजाही बढ़ रही है, ऐसे में यह सौदा नौसेना के लिए काफी अहम है. इस तरह का विमान होने का फायदा यह भी है कि जिस तरह की निगरानी और जानकारी जुटाने का काम एक युद्धपोत दो से तीन दिन में करता है, वही काम यह विमान कुछ ही घंटों में आसानी से कर लेते हैं.