भारत ने यूरोपीय संघ से कोविशील्ड और कोवैक्सीन को टीकाकरण के तौर पर स्वीकार करने को कहा है, वरना जवाबी कार्रवाई तैयार रहने की चेतावनी दी है. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. भारत ने कहा है कि अगर भारतीय वैक्सीनों को मंजूरी नहीं मिलती है तो यूरोप ये यहां आने वाले यात्रियों को भी 14 दिनों के अनिवार्य क्वारंटाइन का सामना करना पड़ेगा. सूत्रों ने कहा कि यूरोपियन यूनियन के डिजिटल कोविड सर्टिफिकेट में कोविशील्ड औऱ कोवैक्सीन को अधिसूचित किया जाना चाहिए, ताकि भारत से वहां जा रहे नागरिकों को कोई परेशानी न हो. मौजूदा समय में किसी भी देश की यात्रा के लिए वैक्सीन पासपोर्ट बेहद जरूरी है.
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दरअसल, भारत से बड़ी संख्या में लोग नौकरी या पढ़ाई के लिए यूरोपीय देशों की यात्रा करना चाहते हैं, लेकिन भारतीय वैक्सीनों को पासपोर्ट से संबद्ध करने की इजाजत न मिलने से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने भी भारत सरकार से कूटनीतिक और राजनीतिक स्तर पर यह मुद्दा उठाने की अपील की है.
यह संकेत है कि वैक्सीनों को पासपोर्ट से लिंकिंग और उसे मान्यता देने के अनुरोध को लेकर भारत का धैर्य जवाब दे गया है. विदेश मंत्रालय से जुड़े सत्रों ने कहा कि अगर ईयू ने रुख नहीं बदला तो भारत भी वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को लेकर जवाबी नीति लागू करेगा. ऐसे में यूरोप में किसी व्यक्ति को लगी वैक्सीन को भारत नहीं मानेगा और वहां से आने वाले यात्रियों के लिए भारत आने पर क्वारंटाइन से मिलने वाली छूट नहीं होगी.
गौरतलब है कि भारत में इस समय चार कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है. इसमें स्वदेशी कंपनी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन, एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड शामिल है. इसके अलावा रूस की वैक्सीन स्पूतनिक वी औऱ मॉडर्ना की वैक्सीन को भी आपातकालीन इस्तेमाल के लिए अनुमति मिल चुकी है. कोविड वैक्सीन पासपोर्ट वो सुविधा है, जिसमें वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद उसे डिजिटल पासपोर्ट से लिंक कर दिया जाता है और यह विदेश यात्रा करने की छूट देता है.
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