खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा उसकी हत्या की साजिश का आरोप लगाते हुए सिविल मुकदमा दायर करने के बाद एक अमेरिकी अदालत ने भारत सरकार को तलब किया है. न्यूयॉर्क के साउथ डिस्ट्रिक्ट के लिए अमेरिकी जिला कोर्ट द्वारा जारी समन में भारत सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, पूर्व R&AW प्रमुख सामंत गोयल, R&AW एजेंट विक्रम यादव और भारतीय व्यवसायी निखिल गुप्ता के नाम शामिल हैं. समन में 21 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है.
विदेश मंत्रालय की क्या प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि यह "चिंता का विषय" है और इस बात पर जोर दिया कि भारत ने उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी है. विदेश मंत्रालय की तरफ से अरिंदम बागची ने कहा, "जहां तक एक व्यक्ति के खिलाफ अमेरिकी अदालत में दायर मामले का सवाल है, जिसमें उसे कथित तौर पर एक भारतीय अधिकारी से जोड़ा गया है, यह चिंता का विषय है. हमने कहा है कि यह सरकार की नीति के भी विपरीत है."
भारत और अमेरिका के रिश्तों पर क्या असर
इस साल मई में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा था कि भारत इस मामले की जांच कर रहा है, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इससे भारत-अमेरिका संबंधों के "ऊपर की ओर बढ़ने" पर कोई असर नहीं पड़ेगा. समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "अमेरिका ने सद्भावनापूर्वक कुछ जानकारी हमारे ध्यान में लाई है क्योंकि हमारा भी मानना है कि इसमें से कुछ का हमारे अपने सिस्टम पर भी प्रभाव पड़ता है." उन्होंने कहा, "हम इसकी जांच कर रहे हैं. लेकिन मुझे नहीं लगता कि भारत-अमेरिका के ऊपर की ओर बढ़ने के मूल मार्ग पर इसका कोई असर पड़ेगा."
अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने क्या कहा
भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने NDTV से कहा है कि इस मामले से भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. पन्नून को भारतीय नेताओं और संस्थाओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और धमकियाँ देने के लिए जाना जाता है. नई दिल्ली ने उसे 2020 में आतंकवादी घोषित किया था.