- PM मोदी ने अतिरिक्त टैरिफ से पहले ही अमेरिका कड़ा संदेश दिया है. कृषि मंत्री और विदेश मंत्री भी दे चुके हैं.
- भारत अमेरिका के अतिरिक्त टैरिफ दबावों के बावजूद किसानों के हितों से किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा.
- अहमदाबाद में PM मोदी कहा कि किसानों, पशुपालकों और उद्यमियों का हित उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है.
'मेरे देश के किसान भाइयों, पशुपालकों, उद्यमियों....मैं आपसे बार-बार वादा करता हूं, आपका हित मोदी के लिए सर्वोपरि है.' ट्रंप के अतिरिक्त टैरिफ से पहले गुजरात के अहमदाबाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान ये बात कही. स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से भी पीएम मोदी ने यही संदेश दिया था. कुछ दिन पहले केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बिना नाम लिए अमेरिका पर निशाना साधा था. साफ कहा था कि ये नया भारत है, किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से समझौता नहीं करेगा. रूस यात्रा के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने भी ऐसा ही मैसेज देने की कोशिश की.
अमेरिका के टैरिफ वाले दबाव के बीच भारत झुकने की बजाय लगातार पलटवार कर रहा है. पीएम मोदी, कृषि मंत्री शिवराज, विदेश मंत्री जयशंकर और अन्य मंत्री अलग-अलग मौकों पर अमेरिका को सख्त संदेश देते नजर आए हैं. सरकार का रुख साफ है कि अन्नदाताओं के हित, पशुपालकों के हित, भारतीयों के हित से कोई समझौता नहीं, इसके लिए अतिरिक्त टैरिफ झेलना पड़े तो पड़े. सरकार किसानों, पशुपालकों और उद्यमियों का अहित नहीं होने देगी.
'...चाहे कितना ही दबाव क्यों न आए'
अहमदाबाद में अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा, 'मेरे देश के छोटे उद्यमी हों, किसान हों, या पशुपालक हों, सभी के लिए, मैं आपसे बार-बार वादा करता हूं, आपका हित मोदी के लिए सर्वोपरि है.' कहा- 'आपलोगों के ही दम पर भारत तेजी से विकास के रास्ते पर चल रहा है और आत्मनिर्भर बन रहा है.'
अमेरिका का नाम लिए बगैर पीएम मोदी ने कहा, 'आज दुनिया में आर्थिक स्वार्थ वाली राजनीति है, हर कोई अपना करने में लगा है. उसे हम भली भांति देख रहे हैं. हम किसानों और पशुपालकों का कभी भी अहित नहीं होने देंगे, चाहे दबाव कितना ही क्यों न आए, अपनी ताकत बढ़ाते जाएंगे.'
अमेरिका की शर्तें भारत को मंजूर नहीं
अमेरिका कोशिश कर रहा है कि वो अपने डेयरी प्रोडक्ट और एग्रीकल्चर सेक्टर को भारत लाए. वो चाहता है कि भारत मक्का, सोयाबीन, सेब, बादाम और डेयरी उत्पादों जैसे अपने कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम करे. वो ये भी चाहता है कि भारत अपने यहां आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलों जैसे मक्का और सोयाबीन को भी आने दे.
किसानों के हितों को देखते हुए भारत सरकार ने इन मांगों का कड़ा विरोध किया. कारण कि अगर अमेरिका के सस्ते और सब्सिडी वाले कृषि उत्पाद भारतीय बाजार में आते, तो भारत के लाखों छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका खतरे में पड़ जाती. भारतीय किसान बड़ी अमेरिकी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते. भारत सरकार ऐसा नहीं होने देना चाहती.
15 अगस्त: मोदी दीवार बनकर खड़ा है
पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से भी अमेरिका को संदेश देने की कोशिश की. उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया था कि भारत उनके हितों से कोई समझौता नहीं करेगा, खासकर अमेरिका के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते के संदर्भ में. उन्होंने कहा था, 'मैं भारत के किसानों, मछुआरों और पशुपालकों की रक्षा के लिए दीवार की तरह खड़ा हूं.'
उन्होंने किसानों से कहा, 'ये भारत की आवाज है और किसान भाइयों निश्चिंत रहना किसी भी कीमत पर, जो होगा देखेंगे. 144 करोड़ का भारत थोड़ी तकलीफ होगी, लेकिन देखा जाएगा. हम नए बाजार ढूंढेंगे और भारत ही इतना बड़ा बाजार है कि चीजें अपनी यहां ही खप जाएंगी.'
रूस में भी भारत ने अमेरिका को दिया कड़ा संदेश
अमेरिका, दरअसल भारत-रूस की दोस्ती से भी चिढ़ा हुआ है. वो ये नहीं चाहता कि भारत, रूस से ज्यादा कच्चा तेल खरीदे, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया है कि इन धमकियों या भभकियों का उस पर असर नहीं होने वाला. अमेरिका की आपत्ति है कि भारत, रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे महंगे में बेचता है. इस पर रूस दौरे के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने स्पष्ट संदेश दिया कि आपको भारत से दिक्कत है तो न खरीदें.
वहीं मॉस्को में भारत के राजदूत विनय कुमार ने साफ कहा कि जिससे बेस्ट डील मिलेगी, उसी से भारत तेल खरीदेगा. उन्होंने कहा, 'भारतीय वस्तुओं पर बढ़ते अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत बेस्ट डील की पेशकश करने वाले स्रोतों से तेल खरीदना जारी रखेगा.' उन्होंने भी टैरिफ पर अमेरिका के फैसले को अनुचित, अविवेकपूर्ण और अन्यायपूर्ण बताया.
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