दुनिया में बढ़ते संकट के बीच सोने सा चमक रहा भारत, इकोनॉमी मजबूती से आगे बढ़ रही, जानिए कैसे

अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में स्थिर स्थिति में प्रवेश कर रही है, जो अच्छी तरह से नियंत्रित मुद्रास्फीति, लचीली घरेलू मांग और सहायक नीति गतिशीलता द्वारा समर्थित है.

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  • वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.0 से 7.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है
  • अक्टूबर 2025 में निफ्टी ने 26,295.55 पॉइंट्स पर पहुंचकर अपना ऑल टाइम हाई रिकॉर्ड तोड़ा है
  • वस्तु एवं सेवा कर (GST) दरों में कटौती से आर्थिक गतिविधियों को तेजी मिली और ई-वे बिल जनरेशन में वृद्धि हुई
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स्वतंत्र आर्थिक आकलनों के मुताबिक वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर 7.0-7.5 प्रतिशत के बीच रहेगी, जो देश में आर्थिक गतिविधियों में निरंतर मजबूती का संकेत है. गुरुवार को जारी अक्टूबर महीने के लिए वित्त मंत्रालय की Monthly Economic Review में ये अहम बात कही गयी है.

अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स में निवेशकों के बढ़ते विश्वास की एक बड़ी तस्वीर गुरुवार को स्टॉक मार्किट में भी दिखाई दे रही है. गुरुवार को शेयर मार्केट तेजी के साथ खुला, और निफ्टी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया. निफ्टी ने गुरुवार को 26,277 का अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ते हुए 26,295.55 प्‍वाइंट्स पर पहुंच गया.

कैसे हुआ ये करिश्मा

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) रेट में युक्तिकरण और कटौती की वजह से देश में आर्थिक गतिविधियां को गति मिली है. इसका असर विभिन्न उच्च-आवृत्ति संकेतकों (high-frequency indicators) के प्रदर्शन में साफ़ दिखाई देता है. सितंबर और अक्टूबर, 2025 के दौरान ई-वे बिल का जेनेरशन (E-way bill generation) पिछले साल के मुकाबले 14.4 प्रतिशत तक बढ़ गया.

साथ ही, अप्रैल-अक्टूबर 2025 के दौरान GST कलेक्शन में 9% की वृद्धि दर्शाती है कि रेवेन्यू कलेक्शन पर इसका सकरात्मक असर पड़ा है. भारत का 687 बिलियन अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) बाहरी झटकों से पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कर रहा है.

ग्रामीण इलाकों में भी डिमांड

ग्रामीण इलाकों में भी डिमांड में सुधार देखा गया. अक्टूबर 2025 में ट्रैक्टरों की बिक्री पिछले ग्यारह वर्षों में किसी भी महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जिसकी वजह अनुकूल मानसून, बेहतर ग्रामीण माहौल, त्योहारी मांग और हाल ही में जीएसटी दर में कटौती रहा. कुल मिलाकर, ये उच्च-आवृत्ति संकेतक (high-frequency indicators) शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में consumption में सुधार को दर्शाते हैं.

कुल मिलाकर, अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में स्थिर स्थिति में प्रवेश कर रही है, जो अच्छी तरह से नियंत्रित मुद्रास्फीति, लचीली घरेलू मांग और सहायक नीति गतिशीलता द्वारा समर्थित है, हालांकि अंतराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में वैश्विक अनिश्चितताएं बानी हुई हैं, इसीलिए सतर्कता बनाये रखना जरूरी होगा.

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