- सेमीकंडक्टर चिप्स आज मोबाइल से लेकर मिसाइल तक कई तकनीकों का आधार बन चुकी हैं और उनकी वैश्विक मांग बढ़ रही है
- भारत ने इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन शुरू कर गुजरात, ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश में निर्माण इकाइयां स्थापित की
- भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2025 तक 54.3 अरब डॉलर से बढ़कर 103.5 अरब डॉलर तक दोगुना होने की संभावना है
'चिप' का चैंपियन बनेगा भारत. जी हां. सही पढ़ा आपने. ऐसा क्यों हम कह रहे हैं. चलिए पूरा मामला समझाते हैं. दुनिया में किसी देश की ताकत कुछ समय पहले उसके पास मौजूद परमाणु बम और हथियारों से चलती थी. उसके बाद व्यापार और प्रोडक्ट्स ने जगह ली. फिर तेल बनाने वाले देशों को दौर आया. पर अब दुनिया में जो रेस चल रही है वो एक छोटी सी चिप को लेकर है. दरअसल यह देखने में छोटी सी चिप लगती है पर अपने दम पर दुनिया को चलाती है.जो देश इस सेमीकंडक्टर चिप के मार्केट को अपने काबू में कर लेगा, आने वाले समय में उसी देश का राज होगा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
क्वेस कॉर्प के आईटी स्टाफिंग सीईओ कपिल जोशी ने कहा, "भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग एक अहम दशक में प्रवेश कर रहा है. भारत सरकार आईएसएम 2.0 के लिए मंजूरी देने में तेजी दिखा रही है, जिसके 10 अरब डॉलर से अधिक होने की संभावना है."
अमेरिका के बाद भारत बनेगा दूसरा सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर हब
भारत में पहले से ही 2,50,000 से अधिक सेमीकंडक्टर पेशेवर हैं, जिनमें 2024-25 में 43,000 नए लोग इससे जुड़े हैं. इस पूल के साल 2030 तक 120% बढ़कर लगभग 4 लाख हो जाने का अनुमान है, जो भारत को अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर हब बनाएगा. रिपोर्ट के अनुसार, डिजाइन, एम्बेडेड सिस्टम, ईडीए टूल डेवलपमेंट और एटीएमपी मैन्युफैक्चरिंग तक वर्कफोर्स फैला हुआ है, जिससे पता चलता है कि भारत वैल्यू चेन में अपनी ताकत को बढ़ा रहा है.