विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि मौजूदा ध्रुवीकृत दुनिया में भारत वास्तव में महत्व रखता है और उसे बड़े पैमाने पर दक्षिण (गोलार्ध) की आवाज के रूप में जाना जाता है.
जयशंकर ने 11 दिवसीय अमेरिकी यात्रा के तहत एक हफ्ते के व्यस्त कार्यक्रम वाले पहले चरण का समापन शनिवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में दिए संबोधन के साथ किया. इस अवधि में उन्होंने करीब 100 देशों के समकक्षों से मुलाकात की और कई द्विपक्षीय व बहुपक्षीय बैठकों में हिस्सा लिया.
जयशंकर ने भारतीय संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘इसमें दो राय नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा दुनिया की स्थिति को प्रतिबिंबित करती है, जो खासतौर पर इस समय ध्रुवीकृत है. वास्तव में दुनिया जिस अवस्था में है, उसमें भारत महत्व रखता है. हम एक सेतु हैं, हम एक आवाज हैं, हम एक दृष्टिकोण, एक जरिया हैं.'
विदेश मंत्री अमेरिका की यात्रा के दूसरे चरण के तहत रविवार को वाशिंगटन रवाना होंगे.
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जयशंकर ने कहा कि जब सामान्य कूटनीति सही तरीके से काम नहीं कर रही है, तब भारत के कई देशों के साथ संबंध हैं, उसमें विभिन्न देशों और क्षेत्रों के साथ संवाद करने और अहम मुद्दों को उठाने की योग्यता है.
उन्होंने कहा कि आज भारत को वैश्विक स्तर पर ‘व्यापक रूप से' दक्षिण की आवाज माना जाता है.
जयशंकर ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट में है और खाद्यान्न व ईंधन की बढ़ती कीमतें चिंता पैदा कर रही हैं, उर्वरकों की आपूर्ति को लेकर भी चिंता है, कर्ज के बढ़ते बोझ ने भी कई देशों में गहरी चिंताएं पैदा की हैं.
उन्होंने कहा, ‘बड़ी हाताशा है कि इन मुद्दों को सुना नहीं जा रहा है. उन्हें आवाज नहीं दी जा रही है. वैश्विक परिषदों में होने वाली चर्चाओं मेंइन मुद्दों को प्रमुखता से नहीं उठाया जा रहा है.'
विदेश मंत्री ने कहा कि अगर कोई इन भावनाओं के बारे में बोल रहा है और उनकी आवाज बन रहा है तो वह भारत है, नयी दिल्ली ही है, जो कई विकासशील देशों के लिए बात कर रहा है.
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जयशंकर ने कहा, ‘मैं इस सप्ताह का समापन इस भाव से कर रहा हूं कि ध्रुवीकृत दुनिया में भारत वास्तव में महत्व रखता है और यह बहुत कुछ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की वजह से है.'
विदेश मंत्री ने कहा कि कई लोगों ने उनसे पिछले साल ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन ‘सीओपी-26' में और हाल की क्षेत्रीय बैठकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका को लेकर बात की थी.
जयशंकर ने रेखांकित किया कि यह परिदृश्य और नेतृत्व, दोनों ही है, जिसने भारत के अहम होने की भावना को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है.