भारत अमेरिका से 30 ‘प्रीडेटर’ ड्रोन खरीदने के लिए तैयार, तीन अरब डॉलर का सौदा

भारत की तीनों सेनाओं के लिए खरीदे जाने वाले इन ड्रोन पर करीब 22,000 करोड़ रुपये का अनुमानित व्यय होगा

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

भारत अमेरिका से 30 सशस्त्र ‘प्रीडेटर' ड्रोन खरीदने के लिए लंबे समय से चल रहे प्रस्ताव को अंतिम रूप देने को तैयार है. तीनों सेनाओं के लिए खरीदे जाने वाले इन ड्रोन पर करीब 22,000 करोड़ रुपये (तीन अरब अमेरिकी डॉलर) का अनुमानित व्यय होगा. आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस एमक्यू-9बी ड्रोन खरीदने के प्रस्ताव को रक्षा खरीद परिषद (DAC) द्वारा अगले कुछ हफ्तों में मंजूरी दिए जाने की संभावना है. उसके बाद प्रस्ताव सुरक्षा मामलों की प्रधानमंत्री नीत कैबिनेट कमेटी के सामने रखा जाएगा.

सूत्रों ने कहा कि कीमत और हथियार पैकेज सहित खरीद से जुड़े विभिन्न प्रमुख पहलुओं को पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है और चालू वित्त वर्ष तक अमेरिका के साथ मेगा-सौदे पर मुहर लगने की तैयारी है.

भारतीय नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह प्रस्ताव "शीघ्र ही" में डीएसी के सामने रखा जाएगा. उन्होंने एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से कहा, ‘‘खरीद प्रक्रिया का पूरा प्रयास यह है कि हम बहुत ही संतुलित निर्णय लेते हैं और इसलिए सभी पक्षों की राय ली जाती है. प्रक्रिया जारी है और हम इस दिशा में काफी आगे बढ़ चुके हैं. इसे जल्दी ही डीएसी के समक्ष लाया जाएगा.''

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भारतीय नौसेना ने इन ड्रोन की खरीद के लिए प्रस्ताव किया था और तीनों सेनाओं को 10-10 ड्रोन मिलने की संभावना है. अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटॉमिक्स द्वारा निर्मित रिमोट- संचालित ड्रोन करीब 35 घंटे तक हवा में रहने में सक्षम हैं. इसे निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने सहित कई मकसदों के लिए तैनात किया जा सकता है.

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‘प्रीडेटर' ड्रोन को लंबे समय तक हवा में रहने और ऊंचाई वाले क्षेत्रों की निगरानी के लिए खास तौर पर डिज़ाइन किया गया है. भारतीय सशस्त्र बल पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध और जम्मू एयरबेस पर ड्रोन हमले के बाद ऐसे हथियारों की खरीद पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

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अमेरिका ने 2019 में भारत को सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दी थी और एकीकृत वायु एवं मिसाइल रक्षा प्रणालियों की भी पेशकश की थी. पिछले साल, भारतीय नौसेना को मुख्य रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी के लिए अमेरिका से दो ‘प्रीडेटर' ड्रोन पट्टे पर मिले थे. गैर-हथियार वाले दो एमएक्यू-9बी ड्रोन एक वर्ष के लिए पट्टे पर दिए गए थे और उसकी अवधि को एक और वर्ष बढ़ाने का विकल्प था.

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भारत ने पिछले साल फरवरी में नौसेना के लिए अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन से 24 एमएच -60 रोमियो हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए अमेरिका के साथ 2.6 अरब अमेरिकी डॉलर का सौदा किया था. उन हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति शुरू हो गई है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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