लक्षद्वीप में 'सहमति' के बिना US नेवी के ऑपरेशन पर भारत ने जताई चिंता...

भारत की ओर से कहा गया है क‍ि सहमति/इजाजत के बिना इस तरह की 'एक्‍सरसाइज' करना भारत की समुद्री सुरक्षा नीति की अवहेलना है.

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भारत ने मामले में अमेरिका के सामने अपना पक्ष स्‍पष्‍ट किया है

नई दिल्ली:

भारत ने शुक्रवार को  कहा है कि अमेरिकी नौसेना की सातवीं फ्लीट की ओर से उसकी (भारत की) इजाजत के बगैर लक्षद्वीप में ऑपरेशन चलाए जाने के मामले में उसने राजनयिक चैनलों के माध्‍यम से अपनी चिंता से अमेरिका को अवगत करा दिया है. सहमति के बिना इस तरह की 'एक्‍सरसाइज' करना भारत की समुद्री सुरक्षा नीति की अवहेलना है. विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, 'समुद्री कानून पर यूएन कन्‍वेंशन पर भारत सरकार ने अपनी स्थिति स्‍पष्‍ट की है कि किसी भी स्‍टेट को यह अधिकार नहीं है कि वे बिना इजाजत के एक्‍सक्‍लूजिव इकोनॉमिक जोन के अंदर प्रवेश करके सैन्‍य अभ्‍यास करे, खासकर जिसमें विस्‍फोटकों और हथियारों का इस्‍तेमाल शामिल हो.'

गौरतलब है कि इससे पहले अमेरिका के सातवें बेड़े के पब्लिक अफेयर्स के बयान में कहा गया था, "7 अप्रैल, 2021 (स्थानीय समय) को अमेरिकी पोत USS जॉन पॉल ने लक्षद्वीप से 130 नॉटिकल मील पश्चिम में भारत के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन के भीतर नेवीगेशनल राइट्स तथा फ्रीडम का इस्तेमाल किया, जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक भारत से पूर्वानुमति नहीं मांगी गई थी. भारत के अनुसार, एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन के भीतर सैन्य अभ्यासों तथा आवाजाही के लिए पूर्वानुमति अनिवार्य है, लेकिन वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप नहीं है..."

बयान के अनुसार, "हम रूटीन और नियमित फ्रीडम ऑफ नेवीगेशन ऑपरेशन्स करते हैं, जो हम अतीत में भी कर चुके हैं और भविष्य में भी करते रहेंगे... FONOPs किसी एक देश के बारे में नहीं होते, और न ही वे कोई राजनैतिक अर्थ रखते हैं..."अमेरिकी नौसेना की सातवीं फ्लीट की ओर से आया यह बयान भारत के लिए परेशानी का कारण बन सकता है क्योंकि अमेरिका इस वक्त भारत के सबसे करीबी रणनीतिक साझीदारों में शुमार होता है और दोनों पक्ष चीन के समुद्री, खासतौर से दक्षिण चीन सागर में, विस्तारवाद की लगातार मुखालफत करते रहे हैं. भारत और अमेरिका सारे साल ही नौसेनिक अभ्यास भी करते रहे हैं.

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