भारत ने मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों को कानूनी और न्यायिक क्षमताएं बढ़ाने में सहयोग की पेशकश की. एससीओ के सदस्य देशों के विधि एवं न्याय मंत्रियों की 10वीं बैठक मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस से हुई. विधि मंत्रालय के बयान के अनुसार चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का संदेश पढ़ने के साथ सौहार्दपूर्ण वातावरण में बैठक शुरू हुई. बयान के अनुसार राष्ट्रपति चिनफिंग ने अपने संदेश में सदस्य देशों से अपील की है कि सहयोग और समझ की भावना के साथ काम किया जाए ताकि एससीओ के उद्देश्यों को समझा जा सके और क्षेत्र के समग्र विकास के लिए योगदान को बढ़ाया जा सके.
इस अवसर पर विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने एससीओ के चार्टर को लेकर भारत की प्रतिबद्धता पर और आपसी विश्वास, संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और आपसी लाभ के सिद्धांतों पर जोर दिया. बयान के अनुसार मेघवाल ने कहा कि यह प्रतिबद्धता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस दृष्टिकोण पर आधारित है कि ‘‘भारत विश्व मित्र बनकर उभरा है और भारत की सबसे बड़ी ताकत विश्वास है, प्रत्येक व्यक्ति में हमारा विश्वास, सरकार में प्रत्येक व्यक्ति का विश्वास, देश के उज्ज्वल भविष्य में सभी का विश्वास और भारत में दुनिया का विश्वास. यह विश्वास हमारी नीतियों और तरीकों को लेकर है.''
उन्होंने कहा, ‘‘देश में विधि संस्थाओं और प्रक्रिया को किसी भी समाज की बदलती वास्तविकताओं के अनुरूप बनाना होगा. इसके मद्देनजर सरकार ने अपनी कानूनी और न्यायिक प्रणाली में कुछ दूरगामी बदलाव करते हुए कदम उठाये हैं.'' मंगलवार की बैठक में एससीओ के सदस्य देशों के सभी कानून मंत्रियों ने हस्ताक्षर किये जिसमें सदस्य देशों के बीच पिछले 22 वर्ष में कानून और न्याय के क्षेत्र में सहयोग को रेखांकित किया गया.
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