भारत को वर्ष 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) के लिए लिथियम आयन बैटरी की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए लगभग 10 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी. प्रबंधन परामर्श कंपनी आर्थर डी लिटिल की रिपोर्ट के अनुसार, इस मांग को पूरा करने के लिए सेल विनिर्माण और कच्चे माल के शोधन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. भारत में लिथियम-आयन बैटरी की मांग वर्तमान में तीन गीगावॉट घंटा (जीडब्ल्यूएच) है और इसके 2026 तक 20 और 2030 तक 70 गीगावॉट घंटा तक बढ़ने की संभावना है. खान मंत्रालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि वर्तमान में भारत अपनी लिथियम-आयन बैटरी की आवश्यकता का लगभग 70 प्रतिशत चीन और हांगकांग से आयात करता है.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘वर्ष 2030 तक लिथियम-आयन बैटरी की स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए भारत को कच्चे माल की शोधन क्षमताओं में अतिरिक्त निवेश के साथ सेल विनिर्माण क्षमता में अनुमानित 10 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी.''रिपोर्ट के अनुसार, इस निवेश से बैटरी विनिर्माण और संबंधित सहायक व्यवसायों और सेवाओं में दस लाख या उससे अधिक रोजगार के अवसर सृजित होंगी.