भारत-म्यांमार बॉर्डर की सुरक्षा पर फोकस, केंद्र का निर्देश- तेजी से हो बाड़ेबंदी

म्यांमार बॉर्डर पर फेंसिंग (India-Myanmar Border Fencing) लगवाने का मकसद पूर्वी क्षेत्र में बनी हुई चुनौतियों पर लगाम कसना है. ड्रग तस्करी, उग्रवाद और म्यांमार से अवैध शरणार्थियों की घुसपैठ बड़ी चुनौती रहा है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
भारत-म्यांमार सीमा सुरक्षा पर फोकस. (फाइल फोटो)
दिल्ली:

भारत-म्यांमार सीमा सुरक्षा को लेकर केंद्र ने बड़ा फैसला लिया है. भारत-म्यांमार बॉर्डर की सुरक्षा (India-Myanmar Border Security) के लिहाज से केंद्र सरकार ने अहम कदम उठाते हुए मणिपुर, अरुणाचल सरकार को बॉर्डर पर फेंसिंग के विस्तार का निर्देश दिया है. गृह मंत्रालय ने दोनों ही राज्यों में भारत-म्यांमार बॉर्डर के हिस्सों का सर्वेक्षण और संरेखण करके पूरे बॉर्डर पर फेंसिंग के काम में तेजी लाने को कहा है. बता दें कि पूर्वोत्तर के चार राज्यों-अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड का बॉर्डर म्यांमार से लगता है. अरुणाचल की 480 किमी. और मणिपुर की 243 किमी. वाले इलाके में तेजी से बाड़ेबंदी का निर्देश दिया गया है. 

म्यांमार सीमा पर बाड़ेबंदी के फैसले का विरोध

केंद्र सरकार ने पिछले साल म्यांमार के साथ फ्री मूवमेंट रिजीम (FMR) को सस्पेंड कर दिया था. भारत के इस फैसले का मिजोरम और नागालैंड ने विरोध किया था. मिजोरम विधानसभा ने 28 फरवरी को भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और फ्री मूवमेंट रिजीम को खत्म करने के केंद्र के फैसले के विरोध में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव अपनाया था. दरअसल नगालैंड सरकार और राज्य के करीब सभी संगठन भी बॉर्डर पर फेंसिंग करने और एफएमआर को ख़त्म किए जाने के ख़िलाफ़ हैं.

नगालैंड विधानसभा ने भी 1 मार्च को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से भारत-म्यांमार बॉर्डर पर बाड़ लगाने और दोनों देशों के बीच एफएमआर को खत्म करने के उनके फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की थी. 

Advertisement

क्या है एफएमआर?

एफएमआर स्वतंत्र रूप से आवाजाही वाला एक समझौता है. पहले म्यांमार के साथ यह समझौता था, तो बिना रोकटोक दोनोंही देशों में आवाजाही आसान थी. इस समझौते के तहत दोनों ही देशों के लोग बॉर्डर के आर-पार 16 किमी. तक अंदर बिना वीज़ा के आना-जाना कर सकते थे. लेकिन इस समझौते को भारत ने खत्म कर दिया. साथ ही सीमा सुरक्षा के लिहाज से बाड़ भी लगवा रहा है. भारत म्यांमार के साथ 1610 किमी (1,000 मील) लंबी खुली अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है. जिस पर सरकार फेंसिंग लगाने पर विचार कर रही है. इस कार्य पर सरकार 3.7 अरब डॉलर खर्च करने जा रही है.

Advertisement

भारत-म्यांमार बॉर्डर पर चुनौतियां

म्यांमार बॉर्डर पर फेंसिंग लगवाने का मकसद पूर्वी क्षेत्र में बनी हुई चुनौतियों पर लगाम कसना है. ड्रग तस्करी, उग्रवाद और म्यांमार से अवैध शरणार्थियों की घुसपैठ बड़ी चुनौती बना हुआ था. देश का पूर्वोत्तर इलाका साल 1970 से ही ड्रग तस्करी की समस्या का सामान कर रहा है. दरअसल उत्तरी पूर्वी म्यांमार, उत्तरी लाओ और उत्तरी पश्चिमी थाईलैंड के इलाके को ड्रग तस्करी का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है. दोनों ही देशों की सीमा पर फेंसिंग न होने की वजह से ड्रग तस्करों की आवाजाही बहुत ही आसान होती है. वहीं साल 2023 में म्यांमार दुनिया में अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक देश था. यही वजह है कि भारत ने सुरक्षा के लिहाज से बाड़ेबंदी का फैसला लिया है. 
 

Advertisement
Featured Video Of The Day
India Canada Row: PM Modi की कूटनीति के आगे बैकफुट पर Justin Trudeau | Khabar Pakki Hai| NDTV India