चीन से पाकिस्तान को मिली पनडुब्बियों पर भारत की पैनी नजर

भारतीय नौसेना भी अपनी पनडुब्बी रोधी क्षमताओं को तेजी से उन्नत कर रही है. कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड नौसेना के लिए आठ स्वदेशी पनडुब्बी रोधी युद्धपोतों का निर्माण कर रहा है, जिनमें से पहला पोत माहे 24 नवंबर को नौसेना में शामिल होने वाला है.

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हाल ही में चीन और पाकिस्तान के बीच लगभग 5 अरब डॉलर मूल्य का समझौता हुआ है.
नई दिल्ली:

पाकिस्तान को चीन से मिलने वाली आठ उन्नत पनडुब्बियों के बीच भारतीय नौसेना ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमताओं को मजबूत कर रही है. सह नौसेना प्रमुख वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन ने कहा कि नौसेना अपनी रणनीति तैयार कर रही है. उन्होंने कहा कि हमें अच्छी तरह पता है कि पनडुब्बी रोधी युद्ध में कौन-सी क्षमताएं आवश्यक हैं और उन्हीं को विकसित करने की दिशा में काम किया जा रहा है. वाइस एडमिरल वात्स्यायन ने कहा कि चीन निर्मित ये पनडुब्बियां जल्द ही पाकिस्तानी नौसेना का हिस्सा बन जाएंगी और भारत स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है. नौसेना समय–समय पर अपनी रणनीतियों की समीक्षा करती है ताकि उभरते खतरों के अनुरूप आवश्यक बदलाव किए जा सकें. हम उनकी हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं और अपनी एन्टी सबमरीन वाॅरफेयर की क्षमताओं को भी लगातार बढ़ा रहे हैं.

सह नौसेना प्रमुख स्वावलंबन–2025 कार्यक्रम की जानकारी दे रहे थे, जो नौसेना की आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के प्रयासों पर केंद्रित है.

चीन-पाकिस्तान पनडुब्बी सौदा

हाल ही में चीन और पाकिस्तान के बीच लगभग 5 अरब डॉलर मूल्य का समझौता हुआ है, जिसके तहत पाकिस्तान को आठ अत्याधुनिक हंगोर क्लास डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां मिलेंगी. पहली पनडुब्बी के 2026 में और सभी आठ के 2028 तक पाकिस्तानी नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है. उन्नत हथियार, अत्याधुनिक सेंसर, टॉरपीडो, एंटी–शिप मिसाइलें और माइन बिछाने जैसी क्षमताएं इन पनडुब्बियों को बेहद प्रभावशाली बनाती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इन पनडुब्बियों के शामिल होने से हिंद महासागर क्षेत्र में पाकिस्तान की समुद्री क्षमता उल्लेखनीय रूप से बढ़ेगी.

भारत की तैयारियां तेज

भारतीय नौसेना भी अपनी पनडुब्बी रोधी क्षमताओं को तेजी से उन्नत कर रही है. कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड नौसेना के लिए आठ स्वदेशी पनडुब्बी रोधी युद्धपोतों का निर्माण कर रहा है, जिनमें से पहला पोत माहे 24 नवंबर को नौसेना में शामिल होने वाला है. इसी तरह, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड भी 16 पनडुब्बी रोधी एंड्रोथ युद्धपोत बना रहा है, जिनमें से दो पहले ही नौसेना में शामिल हो चुके हैं. दूसरा पोत पिछले महीने विशाखापट्टनम स्थित नौसैनिक डॉकयार्ड में शामिल किया गया. इतना ही नही नौसेना के करीब 50 से ज़्यादा स्वदेशी युद्धपोत बन रहे है जो अगले तीन चार सालों में नौसेना में शामिल हो जाएं. 

ये सभी पोत समुद्र के भीतर छिपी दुश्मन पनडुब्बियों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम हैं. इनमें लगे उन्नत सोनार सिस्टम पानी के भीतर की गतिविधियों को सटीक रूप से पहचान सकते हैं, जबकि हल्के टॉरपीडो और पनडुब्बी रोधी रॉकेट इन्हें और अधिक प्रभावी बनाते हैं.

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