"मजबूत होते रिश्‍ते...", मिस्र स्वेज नहर आर्थिक जोन में भारतीय उद्योगों को जमीन आवंटन पर कर रहा विचार

PM नरेंद्र मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी है. मिस्र पक्ष ने अधिक भारतीय निवेश के प्रवाह का स्वागत किया और लागू विनियमों और रूपरेखाओं के अनुसार प्रोत्साहन और सुविधाएं प्रदान करने का वादा किया.

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मिस्र पक्ष ने अधिक भारतीय निवेश के प्रवाह का स्वागत किया

नई दिल्ली: भारत और मिस्र के रिश्‍ते और मजबूत होते नजर आ रहे हैं. दोनों देशों ने गुट निरपेक्ष आंदोलन के स्थापना सिद्धांतों, अंतरराष्ट्रीय कानून और सभी राष्ट्रों की संप्रभुता और सीमागत अखंडता के सम्मान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने आए मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान परस्पर हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को जारी संयुक्त बयान में यह बात कही गई.

आर्थिक संबंधों पर बयान में कहा गया कि मिस्र स्वेज नहर आर्थिक जोन (एससीईजेड) में भारतीय उद्योगों को विशेष क्षेत्र आवंटित करने पर विचार कर रहा है और "भारतीय पक्ष इसके लिए मास्टर प्लान" तैयार कर सकता है. भूमध्यसागर को लाल सागर से जोड़ने वाली स्वेज नहर दुनिया के सबसे व्यस्त व्यापार मार्गों में से एक है. दुनिया के कुल व्यापार का करीब 12 प्रतिशत रोजाना इस नहर से गुजरता है.

भारत और मिस्र के संयुक्‍त बयान के अनुसार, जिन कंपनियों के पास विदेशों में अपने व्यापार को फैलाने की पूंजी है, भारत अपनी वैसी कंपनियों का उपयोग मिस्र में उपलब्ध निवेश अवसरों के लिए करेगा. बयान में कहा गया, "इस संदर्भ में मिस्र वाला पक्ष स्वेज नहर आर्थिक जोन में भारतीय उद्योगों को विशेष क्षेत्र आवंटित करने पर विचार कर रहा है. वहीं, भारतीय पक्ष इसके लिए मास्टर प्लान तैयार कर सकता है."

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वित्तीय आंकड़ों के बारे में बात करते हुए, दोनों नेताओं ने मजबूत द्विपक्षीय आर्थिक जुड़ाव की सराहना की और महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद 2021-22 में 7.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर द्विपक्षीय व्यापार पर संतोष व्यक्त किया. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि दोनों देशों के व्यापार में विविधता लाने और मूल्यवर्धन पर ध्यान केंद्रित करके अगले पांच वर्षों के भीतर 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है.

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मिस्र पक्ष ने अधिक भारतीय निवेश के प्रवाह का स्वागत किया और लागू विनियमों और रूपरेखाओं के अनुसार प्रोत्साहन और सुविधाएं प्रदान करने का वादा किया. अपनी ओर से, भारत ने अपनी कंपनियों को प्रोत्‍साहित करके इस दृष्टिकोण के लिए अपने समर्थन को रेखांकित किया.

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भारत की तीन दिन की यात्रा पर मंगलवार को दिल्ली पहुंचे मिस्र के राष्ट्रपति अल-सीसी मुख्य अतिथि के रूप में गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हुए. गणतंत्र दिवस परेड पर विदेशी मेहमानों को बुलाने की परंपरा वैसे तो प्रतीकात्मक होती है, लेकिन किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष को बुलाने के पीछे की कूटनीति बदले वैश्वक समीकरण में अब बदली भी है. एक मुस्लिम बहुल देश होने के कारण मिस्र और भारत की मित्रता काफी अहम है. वैसे बता दें कि भारत और मिस्र की दोस्‍ती 70 साल से ज्यादा पुरानी है. यह देश कई मौकों पर भारत के खिलाफ पाकिस्तान के दुष्प्रचार को नकार चुका है.

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