'विश्वगुरु' का गौरव पुनः प्राप्त करने के लिए अपना लक्ष्य निर्धारित कर रहा भारत : उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि सफलता केवल किताबों के वजन या ग्रेड के दबाव से नहीं मापी जाती, बल्कि सीखने के जुनून और चुनौतियों पर काबू पाने के लचीलेपन से मापी जाती है.

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उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की कुशल डिजिटल भुगतान प्रणाली अब सिंगापुर जैसे देशों द्वारा अपनाई जा रही है .
जमशेदपुर (झारखंड):

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि भारत ‘विश्वगुरु' का गौरव पुनः प्राप्त करने के लिए अपना रास्ता तैयार कर रहा है और यह इस दशक के अंत तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है. जमशेदपुर में, प्रबंध संस्थान एक्सएलआरआई के प्लैटिनम जुबली समारोह में धनखड़ ने कहा कि देश चौथी औद्योगिक क्रांति की दहलीज पर खड़ा है. उन्होंने संस्थान के छात्रों और संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह वास्तव में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों से प्रेरित एक परिवर्तनकारी युग है. कृत्रिम मेधा, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, 6जी प्रौद्योगिकी और हरित हाइड्रोजन जैसी प्रौद्योगिकियों का उदय अद्वितीय अवसर प्रस्तुत करता है.

धनखड़ ने कहा, ‘‘इनमें उद्योगों को फिर से परिभाषित करने, समाधानों की फिर से कल्पना करने और हमारे जीने एवं काम करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता है.'' उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आज, हमारे देश की शक्ति को वैश्विक मान्यता मिल रही है, चाहे वह भूमि, समुद्र, वायु या अंतरिक्ष पर हो. हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों और हमारी सदियों पुराने सभ्यतागत मूल्यों को बनाए रखने वाले परिवेश के निर्माण के लिए इसे युवा नेताओं के समर्थन की आवश्यकता है.''

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की कुशल डिजिटल भुगतान प्रणाली अब सिंगापुर जैसे देशों द्वारा अपनाई जा रही है और विश्व बैंक ने हाल ही में कहा था कि भारत ने डिजिटल समावेश के लिए छह वर्षों में जो हासिल किया है, उसमें आमतौर पर 47 साल लगेंगे. धनखड़ ने कहा, ‘‘विश्व बैंक की यह सराहना वर्तमान शासन मॉडल के प्रति सम्मान है जो अत्यधिक जवाबदेह और पारदर्शी है.''

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उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि सफलता केवल किताबों के वजन या ग्रेड के दबाव से नहीं मापी जाती, बल्कि सीखने के जुनून और चुनौतियों पर काबू पाने के लचीलेपन से मापी जाती है. उन्होंने कहा, ‘‘अगर आपके पास कोई विचार है, तो आपको उसे हासिल करने के जुनून के साथ मिशन मोड में रहना होगा. यही कारण है कि हमारी पूरी आर्थिक संरचना बदल रही है.''

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धनखड़ ने कहा, ‘‘तनाव-मुक्त मानसिकता न केवल रचनात्मकता और नवीनता को बढ़ाती है, बल्कि समग्र विकास को भी बढ़ावा देती है. यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक छात्र न केवल शैक्षणिक रूप से, बल्कि कक्षा से परे जीवन की जटिलताओं से निपटने के लिए तैयार एक पूर्ण व्यक्ति के रूप में विकसित हो। हमें 2047 की ओर बढ़ने के साथ ही परिवर्तनकारी बनने का आकांक्षी होना चाहिए.”

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उपराष्ट्रपति ने एक्सएलआरआई के छात्रों और शिक्षकों को संसद देखने के लिए भी आमंत्रित किया. उन्होंने कहा कि भारतीय वैश्विक परिषद विभिन्न क्षेत्रों के वैश्विक नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए जेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के साथ अगले साल 31 जनवरी से पहले एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगी. उत्कृष्टता और राष्ट्र निर्माण के कार्य के 75 साल पूरे करने के लिए एक्सएलआरआई को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि संस्थान ने ऐसे नेताओं को तैयार करके भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है जो न केवल आर्थिक प्रगति करने में सक्षम हैं बल्कि हमारे समाज के नैतिक मूल्यों और इसकी जरूरतों का पोषण भी कर रहे हैं. इससे पहले, झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची के बिरसा मुंडा हवाई अड्डे पर उपराष्ट्रपति का उनकी पहली झारखंड यात्रा के दौरान स्वागत किया.

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