भारत में निवर्तमान अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर ने पिछले साल सीमा पर चीन की आक्रामकता का जिक्र करते हुए आज कहा कि इस अवधि के दौरान भारत और अमेरिका का घनिष्ठ सहयोग रहा है, लेकिन सहयोग की सीमा का स्वरूप क्या होगा यह नई दिल्ली पर छोड़ दिया गया था.भारत की सीमा पर आक्रामक चीनी गतिविधि निरंतर चलती रही ऐसे में भारत और अमेरिका के बीच घनिष्ठ समन्वय काफी महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि किसी भी देश का भारत के साथ रक्षा और आतंकवाद विरोधी संबंध उतना मजबूत नहीं है, जितना अमेरिका का रहा है.सीधे शब्दों में, कोई भी अन्य देश भारतीयों और भारत की सुरक्षा में उतना योगदान नहीं करते हैं जितना अमेरिका ने कर रहा है.अमेरिकी राजदूत ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र तेजी से "विकसित हो रही अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का केंद्र" बन रहा है.
चीन के उदय और कोविड -19 महामारी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि क्षेत्र को "स्थिरता, नेतृत्व और विकास के लिए लोकतांत्रिक मॉडल की आवश्यकता है जो अन्य देशों की संप्रभुता को खतरा नहीं बने.उन्होंने कहा, "इसीलिए एक मजबूत और लोकतांत्रिक भारत शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है."
गौरतलब है कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले साल अप्रैल-मई में चीन के साथ हिंसक झड़प में हुआ था. जून में, गालवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी.इस दौरान भी विभिन्न अवसरों पर, अमेरिका ने चीन की कड़ी आलोचना की थी और संप्रभुता की रक्षा के भारत के प्रयासों के लिए समर्थन व्यक्त किया था. राज्य के सचिव माइक पोम्पिओ ने कहा था कि अमेरिका "किसी भी खतरे से निपटने के लिए भारत के साथ खड़ा है".