अमेरिका से भारत वापस लौटे प्रवासी भारतीय.
अवैध प्रवासियों पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सख्त रुख के बाद वहां से भारत लौटे 104 भारतीयों ने अमेरिका जाने के अपने डंकी रूट की आपबीती बताई है. अमृतसर लौटे ये लोग यूपी, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा समेत देश के अलग-अलग राज्यों के हैं. इन भारतीयों ने वहां तक पहुंचने के लिए एजेंटों के झांसे में आने और उस दौरान हुई परेशानियों को साझा किया है. डंकी फ्लाइट्स कैसे ली और भारी रकम चुकाने के बाद भी वह कैसे बिना पेपर्स के अमेरिका तक पहुंचे, ये सब उन्होंने बताया है. उनकी इस यात्रा में लंबी फ्लाइट्स, समुद्र के खतरनाक सफर से लेकर खतरनाक पहाड़ियों में 45 किलो मीटर तक पैदल चलने तक का उनका अनुभव शामिल है. इन सभी की आपबीती जानिए.
अमेरिका से लाए गए भारतीय किन किन राज्यों से
राज्य | लौटे हुए भारतीयों की संख्या |
हरियाणा | 33 |
गुजरात | 33 |
पंजाब | 30 |
महाराष्ट्र | 03 |
उत्तर प्रदेश | 03 |
चंडीगढ़ | 02 |
'42 लाख रुपए लिए लेकिन वीजा नहीं दिया'
पंजाब के होशियारपुर जिले के ताहली गांव के रहने वाले हरविंदर सिंह ने बताया कि एक एजेंट ने उनसे अमेरिका में वर्क वीजा देने का वादा किया था. इसके लिए उन्होंने 42 लाख रुपये चुकाए थे. लेकिन वह वादे से मुकर गया. उस एजेंट ने आखिरी समय में बताया कि वीज़ा नहीं आया है और बाद में उनको इधर से उधर घुमाया गया. उनको दिल्ली से कतर और फिर ब्राज़ील तक लगातार फ्लाइट्स में सफर करवाया गया.
उन्होंने मीडिया को बताया कि जब वह ब्राजील पहुंचे तो उनको बताया गया कि उनको पेरू से फ्लाइट दिलवाई जाएगी, जबकि ऐसी कोई फ्लाइट थी ही नहीं. फिर टैक्सियों के जरिए उनको आगे का सफर करवाया गया. पहले वह कोलंबिया और आगे पनामा तक पहुंचे. उनको बताया गया कि यहां से उनको जहाज में लेकर जाएंगे. लेकिन वहां कोई जहाज था ही नहीं. यहीं से उनके दो दिन तक चलने वाले डंकी फ्लाइट्स का सफर शुरू हुआ.
'फ्लाइट का वादा किया, जंगलों में पैदल चलाया'
हरविंदर सिंह ने बताया कि पहाड़ी रास्ते से चलने के बाद वह और उनके साथ मौजूद अन्य प्रवासियों को एक छोटी नाव में मैक्सिको बॉर्डर की तरफ गहरे समुद्र में भेज दिया गया. समुद्र का ये सफर चार घंटे का था. इस दौरान उनको लेकर जा रही नाव पलट गई. इस दौरान उसके साथ नाव में मौजूद एक शख्स की मौत हो गई. पनामा के जंगल में एक और शख्स की मौत हो गई. हरविंदर ने बताया कि इस पूरे सफर बहुत थोड़े से चावल पर वह जिंदा रहे.
वहीं जालंधर के दारापुर गांव के सुखपाल सिंह को भी इसी तरह की परेशानी की बात कही. उन्होंने बताया कि समुद्र के रास्ते उनको 15 घंटे की यात्रा करनी पड़ी और गहरी पहाड़ियों से होकर 40-45 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा, जिसमें उनको काफी कष्ट सहने पड़े. उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस दौरान अगर कोई घायल हो जाता है तो उनको मरने के लिए छोड़ दिया जाता है. उन्होंने रास्ते में कई लाशें भी देखीं. यात्रा का कोई फायदा नहीं हुआ. क्यों कि अमेरिका में एंट्री के लिए बॉर्डर पार करने से ठीक पहले ही मैक्सिको में उनको गिरफ्तार कर लिया गया था.
सुखपाल सिंह ने लोगों से उनके इस हाल से सबक लेते हुए गलत रास्तों से विदेश जाने की कोशिश न करने की अपील की.
'हाथ पैर बांधकर मुझे भारत लाया गया'
अमेरिका से लौटने वाले अवैध प्रवासियों में शामिल जसपाल सिंह ने दावा किया कि उन्हें एक ट्रैवल एजेंट ने आश्वासन दिया था कि उन्हें कानूनी तरीके से अमेरिका भेजा जाएगा, जिसके लिए 30 लाख रुपए मांगे गए थे. 24 जनवरी को अमेरिकी बॉर्डर गश्ती दल द्वारा पकड़े जाने से पहले, उनको ब्राज़ील ले जाया गया, जहां वह छह महीने तक रहे.
Video : अवैध प्रवासियों की वापसी पर अमृतसर के सांसद Gurjeet Singh Aujla | Arvind Kejriwal
'बेटी यूरोप गई थी, फिर नहीं पता'
अमेरिका से लौटी एर गुजराती लड़की के पिता कनुभाई पटेल ने दावा किया कि वह उनकी बेटी एक महीने पहले अपने दोस्तों के साथ छुट्टियां मनाने यूरोप गई थी. उन्होने कहा कि मुझे नहीं पता कि यूरोप पहुंचने के बाद उसने क्या प्लानिंग की. आखिरी बार हमारी उससे 14 जनवरी को बात हुई थी. हमें नहीं पता कि वह अमेरिका कैसे पहुंची.
104 अवैध अप्रवासी अमेरिका से भारत लौटे
बता दें कि ट्रंप के अवैध प्रवासियों पर शिकंजा कसे जाने के बाद भारत के अलग-अलग राज्यों के 104 अवैध अप्रवासी देश वापस लौट आए हैं. अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार को उन्हें लेकर अमृतसर आया. ये अमेरिका से आया अवैध प्रवासी भारतीयों का पहला जत्था है. पीटीआई के हवाले से सूत्रों के मुताबिक, उनमें से 33 हरियाणा और 33 गुजरात, 30 पंजाब, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से और दो चंडीगढ़ से थे. उन्होंने बताया कि वापस भेजे गए लोगों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग भी शामिल हैं, जिनमें एक 4 साल का बच्चा और 5 और 7 साल की दो लड़कियां शामिल हैं.