भारत, चीन अगले दौर की सैन्य वार्ता जल्द करने पर हुए सहमत

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे क्षेत्र में स्थिति की समीक्षा की और शेष मुद्दों का समाधान करने एवं पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पूर्णत: पीछे हटाने के प्रस्तावों पर खुली, रचनात्मक और गहन चर्चा की.’’

Advertisement
Read Time: 11 mins

नई दिल्ली: भारत और चीन ने बृहस्पतिवार को शेष मुद्दों का समाधान करने और पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पूर्णत: पीछे हटाने के प्रस्तावों पर 'रचनात्मक' कूटनीतिक वार्ता की, लेकिन इसमें कोई बड़ी सफलता प्राप्त होने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने 'उद्देश्य' हासिल करने के लिए वरिष्ठ कमांडरों की बैठक का अगला दौर जल्द आयोजित करने का फैसला किया और जमीन पर स्थिर स्थिति सुनिश्चित करने तथा किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की.

इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने स्थिति की समीक्षा की और शेष मुद्दों का समाधान करने एवं पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पूर्णत: पीछे हटाने संबंधी प्रस्तावों पर 'खुली, रचनात्मक और गहन' चर्चा की. यह वार्ता डिजिटल तरीके से भारत-चीन सीमा मामलों (डब्ल्यूएमसीसी) पर परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्य तंत्र ढांचे के तहत हुई.

विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. चीनी दल का नेतृत्व चीन के विदेश मंत्रालय में सीमा एवं समुद्री मामलों के महानिदेशक ने किया. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे क्षेत्र में स्थिति की समीक्षा की और शेष मुद्दों का समाधान करने एवं पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पूर्णत: पीछे हटाने के प्रस्तावों पर खुली, रचनात्मक और गहन चर्चा की.''

इसमें कहा गया है, ‘‘दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने, जमीन पर स्थिर स्थिति सुनिश्चित करने और किसी भी अप्रिय घटना से बचने की आवश्यकता पर सहमत हुए.'' विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों पक्ष सैन्य और कूटनीतिक वार्ता जारी रखने और उपरोक्त उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए वरिष्ठ कमांडरों की बैठक का अगला दौर जल्द आयोजित करने पर सहमत हुए.''

गत अक्टूबर में हुई सैन्य वार्ता में, भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक में लंबित मुद्दों के समाधान पर जोर दिया था. भारत और चीन के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में कुछ टकराव वाले बिंदुओं पर तीन साल से अधिक समय से गतिरोध की स्थिति है. हालांकि, दोनों पक्षों ने व्यापक कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है.

भारत का कहना है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति बहाल नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते. पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया था.

Advertisement

ये भी पढ़ें:- 
Rajasthan Exit Polls 2023 : राजस्थान में सियासी रिवाज बरकरार रहने के आसार, BJP को मिल सकता है राज

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Jammu Kashmir Assembly Elections: कश्मीर के 100 साल के Gandhi Chinar की कहानी पता है?
Topics mentioned in this article