- सरकार ने अगले 4 वर्षों में दस हजार से अधिक मेडिकल UG और PG सीटें बढ़ाने की योजना को कैबिनेट में मंजूरी दी है
- योजना के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पांच हजार एमडी/एमएस और पांच हजार से अधिक एमबीबीएस सीटें जोड़ी जाएंगी
- इस योजना पर कुल पंद्रह हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें केंद्र सरकार दस हजार करोड़ देगी
देश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. बुधवार को कैबिनेट ने मेडिकल सीटें बढ़ाने की योजना को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत अब अगले चार साल में दस हजार से अधिक यूजी और पीजी की सीटें बढ़ाई जाएंगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मेडिकल सीटें बढ़ाने का अहम फैसला लिया गया. अब देश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में 5000 नई एमडी/एमएस और 5023 नई एमबीबीएस सीटें जोड़ी जाएंगी. इसके लिए 1.5 करोड़ रुपये प्रति सीट तक खर्च किया जाएग.
महासचिव फैकल्टी एसोसिएशन ऑफ एम्स, अमरिंदर सिंह मालही ने कहा, मेडिकल सीट बढ़ने से स्टूडेंट्स को बहुत लाभ होगा. उनके डॉक्टर बनने का सपना अब और आसानी से पूरा होगा क्योंकि सीट कम होने से बहुत से छात्र डॉक्टर नहीं बन पाते हैं. साथ ही सीट बढ़ने से देश में हेल्थ केयर बेहतर होगा. गांव तक भी चिकित्सा सुविधा पहुंच पाएगी.
साल 2025-26 से 2028-29 तक इस योजना पर 15,034 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसमें से 10,303 करोड़ केंद्र सरकार और 4,731 करोड़ राज्य सरकारें देंगी. आईएमए के निर्वाचित अध्यक्ष अनिल कुमार नायक ने कहा, सरकार का फैसला देश और मेडिकल फ्रेटरनिटी के लिए बहुत अच्छा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रति 1,000 व्यक्तियों पर 1 डॉक्टर होना चाहिए. यह बहुत जरूरी था और हमारे लिए इसलिए जरूरी था कि सरकारी कोटे में सीटें बढ़ें क्योंकि इस माध्यम से गरीब तबके को भी लाभ होगा होगा. सरकारी सीट बढ़ने से फीस का बोझ कम होगा.
मेडिकल की सीटों में इजाफा से न सिर्फ डॉक्टर और विशेषज्ञों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में भी इलाज की सुविधा आसान होगी. इसके साथ ही रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे.
केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि साल 2028-29 तक 5000 PG + 5023 UG सीटें बढ़ाई जाएं. फिलहाल दुनिया में सबसे अधिक 808 मेडिकल कॉलेज भारत में हैं. पिछले 10 साल में एमबीबीएस सीटें 127% और पीजी सीटें 143% बढ़ी हैं. इसके बावजूद कई जगह डॉक्टरों की कमी है.
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने 1 अगस्त 2025 को लोकसभा में कहा था, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, देश में 13,86,157 पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टर हैं. आयुष मंत्रालय ने बताया है कि आयुष चिकित्सा पद्धति में 7,51,768 पंजीकृत चिकित्सक हैं. यह मानते हुए कि एलोपैथिक और आयुष दोनों प्रणालियों में 80 प्रतिशत पंजीकृत चिकित्सक उपलब्ध हैं, देश में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:811 होने का अनुमान है. मेडिकल सीट बढ़ाने के लिए मौजूदा राज्य सरकार और केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों को मजबूत बनाने और अपग्रेड बनाने के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना भी अपनाई गई है.
डॉक्टरों की कमी लंबे समय से भारत की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक बड़ी चुनौती रही है. ऐसे में सरकार के फैसले से ना सिर्फ डॉक्टरों की कमी दूर होगी बल्कि यही कदम भारत को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र बनाएंगा.