"अब बंकर की जरूरत नहीं, स्कूल-अस्पताल चाहिए": भारत-पाक सीजफायर को 2 साल हुए पूरे

जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम को दो साल पूरे हो गए.

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साल 2020 में, 5,000 युद्धविराम उल्लंघन या सीमा पार से गोलीबारी की घटनाएं हुई थीं.
श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर के उरी में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास एक गांव में 40 वर्षीय बशीर अहमद रहते हैं. अब दो साल हो गए जो उन्हें तोपों की आवाज सुनाई देती थी. सीमा पार से होने वाली गोलाबारी ने उन्हें अपंग बना दिया था और उन्होंने अपनी मां को भी इसमें खोया था.

साल 2001 में गोलाबारी की चपेट में आने से बशीर अहमद ने अपने शरीर का एक अंग खो दिया था. इसमें उनकी मां का देहांत भी हो गया था. उनका कहना है कि काफी समय हो गया कि सीमा पार से कोई गोलाबारी नहीं हो रही है.

उनका कहना है, "यह बहुत अच्छा है. हम बिना किसी डर के घूम सकते हैं. जब गोलाबारी होती थी तो हम बाहर नहीं आ पाते थे. दो साल पहले भयानक स्थिति थी. हमारे घर गोलाबारी की चपेट में आ जाते थे."

गांव के एक अन्य निवासी गुलामुद्दीन चीची ने कहा, "पिछले दो वर्षों में संघर्ष विराम के बाद हमें बंकरों की जरूरत नहीं पड़ी. अब हम स्कूल, अस्पताल और क्षेत्र में विकास चाहते हैं. अब बंकरों की कोई जरूरत नहीं है."

जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम को इस सप्ताह दो साल पूरे हो गए.

भारत और पाकिस्तान दोनों पक्षों ने यह सुनिश्चित किया है कि संघर्ष विराम को सख्ती से बनाए रखा जाए, जिससे दोनों तरफ सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को बड़ी राहत मिले.

पिछले दो वर्षों में, जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से होने वाली गोलीबारी में दोनों ओर से किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. सेना के मजबूत घुसपैठ रोधी तंत्र भी नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ की कोशिशों की संख्या में भी काफी कमी लाने में कामयाब हुआ है.

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साल 2020 में, 5,000 युद्धविराम उल्लंघन या सीमा पार से गोलीबारी की घटनाएं हुईं, जिसके कारण मौतें हुईं और घरों को नुकसान पहुंचा. हालांकि, पिछले दो वर्षों में संघर्षविराम का लगभग शून्य उल्लंघन हुआ है.

अधिकारियों का कहना है कि भारत और पाकिस्तान सेना के बीच 25 फरवरी, 2021 को हुए संघर्षविराम समझौते के बाद संघर्षविराम उल्लंघन की केवल तीन छोटी घटनाएं सामने आई हैं.

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जहां एलओसी पर शांति है, वहीं, मुख्य रूप से जम्मू के क्षेत्रों में ड्रोन के इस्तेमाल से हथियारों और ड्रग्स की तस्करी की कोशिश जारी है. सेना का कहना है कि बार-बार होने वाले ड्रोन घुसपैठ को रोकने के लिए काउंटर-ड्रोन उपकरण तैनात किए गए हैं.

इनमें से अधिकांश ड्रोन घुसपैठ कठुआ, सांबा और जम्मू जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के साथ हुई हैं.

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