भारत और चीन (India China) के बीच 15वें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता (15th round of Corps Commander level talks) भारत की ओर चुशुल मोल्डो मीटिंग प्वाइंट (Chushul Moldo Meeting Point) पर होगी. रक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़े सूत्रों ने मंगलवार को ये जानकारी दी. दोनों पक्षों के बीच 14 राउंड की वार्ता में कई मुद्दों पर गतिरोध सुलझा है. पैंगोंग सो झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे, गलवान घाटी और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स को लेकर भारत और चीन के बीच सहमति बनी है. दोनों पक्ष अब गतिरोध के बाकी बचे क्षेत्रों पर बातचीत में फोकस करेंगे. दोनों पक्षों के बीच हाल में ही में जो बयान आए हैं, उसमें दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधानों तक पहुंचने की बात कही गई है और माहौल सकारात्मक दिख रहा है.
भारत और चीन के बीच बातचीत का यह निर्णय ऐसे वक्त हुआ है, जब यूक्रेन का संकट दुनिया भर में छाया हुआ है. यूक्रेन के मुद्दे पर भारत और चीन का संतुलित रुख सामने आया है. भारत और चीन की सेनाओं के बीच 14वें राउंड की बातचीत जनवरी 2022 में हुई थी. इसमें कोई सफलता नहीं मिली. तब दोनों पक्ष गहन संपर्क बनाए रखने और गतिरोध के बाकी बचे मुद्दों के जल्द से जल्द परस्पर स्वीकार्य समाधान के लिए वार्ता जारी रखने को सहमत हुए थे. सेना प्रमुख ने तब कहा था कि भारत 14वें दौर की वार्ता में पूर्वी लद्दाख में गश्त बिंदु 15 (हॉट स्प्रिंग्स) पर सैनिकों को पीछे हटाने से जुड़े मुद्दों के हल के लिए उम्मीद कर रहा था. भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 14वें दौर की बैठक बुधवार को चीन की ओर चुशुल-मोल्दो सीमा बैठक स्थल पर हुई थी. 14वें दौर की बातचीत में दोनों पक्षों के रक्षा और विदेश मामलों से संबंधित प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधि बैठक में उपस्थित थे. दोनों पक्षों ने पश्चिमी सेक्टर (लद्दाख सीमा) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए खुलकर और गहनता से विचारों का आदान-प्रदान किया.
बयान में कहा गया है कि वे इसे लेकर सहमत हुए कि दोनों पक्षों को दोनों देशों के नेतृत्व द्वारा उपलब्ध कराये गये दिशानिर्देश का पालन करना चाहिए तथा शेष मुद्दों के यथाशीघ्र हल के लिए काम करना चाहिए. संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘यह जिक्र किया गया कि इससे पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर शांति एवं स्थिरता बहाल करने में मदद मिलेगी और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार हो सकेगा. गौरतलब है कि गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद दोनों पक्षों में कई दौर की बातचीत हुई है. शुरुआती दौर में पैंगोंग सो लेक और गोगरा जैसे इलाकों में सेनाओं के पीछे हटने और समाधान के कुछ बिंदुओं के पहुंचने में कामयाबी मिली थी. हालांकि पिछले कुछ दौर की वार्ताओं में गतिरोध के बाकी बचे मुद्दों पर कोई समाधान नहीं निकल पाया है. भारत का लगातार कहना रहा है कि चीन को जून 2020 के पहले की यथास्थिति की ओर लौटना होगा.