आगामी लोकसभा चुनाव में सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड (JDU) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की 16-16 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना के मद्देनजर बिहार कांग्रेस ने एक विकल्प सुझाया है. बिहार कांग्रेस चीफ अखिलेश सिंह ने एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि दोनों सहयोगियों (RJD और JDU) को 16-16 सीटों पर चुनाव लड़ने के बजाय 15-15 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक सीट सीपीआई(एमएल) को दी जा सकती है और बाकी 9 सीटें कांग्रेस को दे दी जानी चाहिए. वहीं, जदयू का कहना है कि उसे 17 सीटें दी जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने पिछली बार भी 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 16 पर जीत हासिल की थी.
जदयू नेता केसी त्यागी ने क्या कहा था?
वहीं, जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने एनडीटीवी से कहा कि "जदयू के 16 सांसद है. INDIA गठबंधन के घटक दलों में इस बात पर सहमति बनी है कि मौजूदा सांसदों को नहीं छेड़ा जाएगा. पिछली बार हमने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था. एक सीट पर हम दूसरे नंबर पर आए थे. जनता दल यूनाइटेड को 17 सीटें मिलनी चाहिए. INDIA गठबंधन से जुड़ी पार्टियों को हमने बता दिया है. इसलिए बिहार में सीटों का बंटवारा कांग्रेस, RJD और लेफ्ट पार्टियों के बीच होना है."
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं
बिहार में 40 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से कांग्रेस ने 2019 के चुनाव में नौ पर चुनाव लड़ा था, तब नीतीश कुमार भाजपा के साथ गठबंधन में थे. इस बार भी कांग्रेस चाहती है कि उसे सम्मानजनक संख्या में सीटें दी जाएं. इंडिया गठबंधन के कुछ नेता चाहते हैं कि बिहार में सीपीआई (एमएल) को केवल एक सीट दी जाए. राष्ट्रीय जनता दल ने बड़े पैमाने पर चुनाव लड़ा था, लेकिन कोई भी सीट जीतने में नाकाम रही थी. भाजपा ने 17 , जदयू ने 16 और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने छह सीटें जीतीं थीं. वहीं, एक सीट कांग्रेस के खाते में भी गई थी.
2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन पर उठे थे सवाल
2019 के लोकसभा चुनाव में जहां महागठबंधन के सभी दलों को करारी हार का सामना करना पड़ा था वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव में लेफ्ट के महागठबंधन में आने के बाद राजद और वामदलों ने शानदार प्रदर्शन किया था. हालांकि कांग्रेस पार्टी को अच्छी सफलता नहीं मिली थी. जिसके बाद राजद की तरफ से यह सवाल उठने लगे थे कि कांग्रेस पार्टी को क्षमता से अधिक सीट दी गयी थी.
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