रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो (Pangong Tso of East Ladakh) इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर समझौता करते हुए किसी भी इलाके से दावा नहीं छोड़ा है. वहीं, देपसांग, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा सहित अन्य लंबित ‘‘समस्याओं'' को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच आगामी वार्ताओं में उठाया जाएगा. सरकार का यह बयान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार ने ‘भारत माता का एक टुकड़ा' चीन को दे दिया. कांग्रेस नेता ने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर हुए समझौते को लेकर भी सवाल उठाए. इस पर भाजपा ने भी गांधी के आरोपों पर पलटवार किया.
भारत-चीन सीमा गतिरोध के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राहुल गांधी द्वारा निशाना साधे जाने के बाद भाजपा ने शुक्रवार को उनपर जमकर पलटवार किया. पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कांग्रेस नेता के आरोपों को ‘‘झूठा'' करार देते हुए पूछा कि क्या यह सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया का नेतृत्व कर रहे सशस्त्र बलों का अपमान नहीं है. नड्डा ने राहुल गांधी के उस संवाददाता सम्मेलन को ‘‘कांग्रेस सर्कस का नया संस्करण'' बताया जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री पर हमला बोला था. भाजपा अध्यक्ष ने एक ट्वीट में पूछा कि वह (राहुल गांधी) झूठा दावा क्यों कर रहे हैं कि सेनाओं का पीछे हटना भारत के लिए नुकसान है? क्या यह ‘कांग्रेस-चीन एमओयू' का हिस्सा है?
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रक्षा मंत्रालय ने पैंगोंग सो इलाके में ‘फिंगर 4' तक भारतीय भूभाग होने की बात को भी गलत करार दिया है. रक्षा मंत्रालय ने कड़े शब्दों वाला एक बयान जारी कर कहा, ‘‘भारत ने समझौते के परिणामस्वरूप किसी भी इलाके पर दावा नहीं छोड़ा है. इसके उलट, उसने एलएसी का सम्मान सुनिश्चित किया और एकतरफा तरीके से यथास्थिति में किसी भी बदलाव को रोका है.'' रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को संसद में अपने बयान में कहा था, ‘‘चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे में ‘फिंगर 8' के पूर्व में रखेगा. इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकड़ियों को ‘फिंगर 3' के पास अपने स्थायी ठिकाने धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा.''
सिंह के बयान के बाद जुबानी जंग छिड़ गई. मंत्रालय के बयान में यह भी कहा गया है, ‘‘रक्षा मंत्री के बयान में स्पष्ट कर दिया गया है कि हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग सहित लंबित मुद्दों का हल किया जाना है. पैंगोंग सो में सैनिकों के पीछे हटने की प्रकिया शुरू होने के 48 घंटे के अंदर लंबित मुद्दों पर वार्ता की जाएगी.'' राहुल गांधी ने संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर ‘भारत माता का एक टुकड़ा' चीन को देने का आरोप लगाते हुए कहा कि भारतीय सैनिक भारत के भूभाग ‘फिंगर 4 से फिंगर 3' क्यों लौट रहे हैं. संबंधित क्षेत्र में पर्वतीय ऊंचाइयों को ‘फिंगर' का नाम दिया गया है. रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह कहना कि भारतीय भूभाग ‘फिंगर 4' तक है, सरासर गलत है. जैसा कि भारत के नक्शे में भारतीय भूभाग प्रदर्शित किया गया है, उसमें यह भी शामिल है कि 43,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र 1962 से चीन के अवैध कब्जे में है.''
मंत्रालय ने कहा, ‘‘यहां तक कि भारतीय धारणा के मुताबिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) ‘फिंगर 8' पर है, न कि ‘फिंगर 4' पर है. यही कारण है कि भारत ‘फिंगर 8' तक गश्त का अधिकार होने की बात लगातार कहता रहा है, जो चीन के साथ मौजूदा सहमित में भी शामिल है.'' इसने कहा कि मौजूदा समझौता अग्रिम मोर्चे पर तैनाती रोकने और स्थायी चौकियों में तैनाती जारी रखने का जिक्र करता है. मंत्रालय ने पैंगोंग सो के उत्तरी किनारे के दोनों ओर स्थायी चौकियां लंबे समय से होने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘भारत की ओर यह धन सिंह थापा पोस्ट है, जो फिंगर 3 के नजदीक है और चीन की ओर यह फिंगर 8 के पूर्व में है.'' रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि पूर्वी लद्दाख सेक्टर में देश के राष्ट्रीय हित और भूभाग की प्रभावी तरीके से रक्षा की गई है, क्योंकि सरकार ने सशस्त्र बलों की ताकत पर पूरा भरोसा दिखाया है.
बयान में कहा गया है, ‘‘जिन्हें हमारे सैन्यकर्मियों के बलिदान से हासिल की गई उपलब्धियों पर संदेह है, दरअसल वे उनका (शहीद सैनिकों का) निरादर कर रहे हैं.'' राहुल गांधी के अलावा सोशल मीडिया पर भी लोगों ने फिंगर 3 में अपने सैनिकों को रखने के भारत के फैसले को लेकर सवाल खड़े किए हैं. मंत्रालय ने कहा कि उसने पैंगोंग सो में सैनिकों के पीछे हटने के बारे में मीडिया में और सोशल मीडिया पर कुछ भ्रामक और गुमराह करने वाली टिप्पणियों पर संज्ञान लिया है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसने संसद के दोनों सदनों में रक्षा मंत्री के बयान के जरिए सही स्थिति से अवगत करा दिया है. उल्लेखनीय है कि पिछले साल चीनी सेना ने ‘फिंगर 4 और 8' के बीच के इलाकों में कई बंकर और ढांचे बनाए थे तथा सभी भारतीय गश्त को ‘फिंगर 4' के आगे रोक दिया था, जिसे लेकर भारतीय थलसेना ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी.
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चीन के साथ नौ दौर की सैन्य वार्ताओं में भारत ने पैंगोग सो झील के उत्तरी छोर पर मुख्य रूप से ‘फिंगर 4 से फिंगर 8' तक के क्षेत्र से चीनी सैनिकों को पीछे हटाने पर जोर दिया. कांग्रेस नेता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कल रक्षा मंत्री ने संसद के दोनों सदनों में बयान दिया. कई ऐसी चीजें हैं, जिन्हें स्पष्ट करने की जरूरत है. पहली बात यह है कि इस गतिरोध के शुरुआत से ही भारत का यह रुख रहा है कि अप्रैल, 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल होनी चाहिए, लेकिन रक्षा मंत्री के बयान से स्पष्ट है कि हम फिंगर 4 से फिंगर 3 तक आ गए.'' राहुल गांधी ने दावा किया, ‘‘सरकार अपने पुराने रुख को भूल गई. चीन के सामने नरेन्द्र मोदी ने अपना सिर झुका दिया, मत्था टेक दिया. हमारी जमीन फिंगर 4 तक है. मोदी ने फिंगर 3 से फिंगर 4 की जमीन जो हिंदुस्तान की पवित्र जमीन थी, चीन को सौंप दी है.''
उन्होंने कहा, ‘‘देपसांग के इलाके में चीन अंदर आया है. रक्षा मंत्री ने इस बारे में एक शब्द नहीं बोला. गोगरा और हॉट स्प्रिंग के बारे में एक शब्द नहीं बोला, जहां चीनी बैठे हुए हैं.'' गांधी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने भारतीय जगह चीन को क्यों दी? इसका जवाब प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को देना है. '' यह पूछे जाने पर कि सरकार इसे सफलता के तौर पर पेश कर रही है, कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘सफलता किस बात की? चीन की सफलता इस बात की हो सकती है कि प्रधानमंत्री जी चीन के सामने झुक गए हैं. वो सफलता चीन की है, हिंदुस्तान की नहीं है. वो हमारे घर के अंदर आए हैं. पूरी दुनिया कह रही है कि चीन हमारे घर के अंदर आया है और हमने उनको अपना घर दे दिया.''
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भाजपा ने के एक अन्य नेता ने भी राहुल गांधी पर करारा हमला किया और कहा, ‘‘ चीन को 43,000 वर्ग किलोमीटर जमीन देने के लिए देश गांधी परिवार को कभी माफ नहीं करेगा.'' केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता प्रहलाद जोशी ने कहा, ‘‘जब किसी के पास नैतिक विवेक नहीं होता,जब व्यक्ति कुछ भी सकारात्मक योगदान नहीं करता तो वह झूठ बोलता है. राहुल ने दाएं, बाएं और मध्य में झूठ बोला. शायद वह प्रधानमंत्री नहीं बन सकने की वजह से अवसादग्रस्त हैं. वह जानते हैं कि उनका तो साया तक भी समर्थन नहीं करेगा और वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिले विशाल जनादेश को नहीं पचा पा रहे.'' इस बीच, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने सैनिकों को ‘फिंगर 3' इलाके में रखने के फैसले और अन्य संबद्ध मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर संसद में बृहस्पतिवार को दिए सिंह के बयान का और रक्षा मंत्रालय द्वारा आज जारी किए गए एक बयान का हवाला दिया.
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘सैन्य और कूटनीतिक स्तर की कई दौर की निरंतर वार्ता के बाद इस समझौते पर पहुंचा गया है.'' विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि दोनों देश पैंगोंग झील इलाके में सैनिकों की वापस की प्रक्रिया पूरी होने के 48 घंटों के अंदर वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की 10 वें दौर की बैठक करने के लिए तथा शेष मुद्दों का हल करने के लिए सहमत हुए हैं. हालांकि, भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श एवं समन्वय के कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के लिए कोई तिथि निर्धारित नहीं की गई है. पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों पर सैनिकों को पीछे हटाने के लिए बनी सहमति के अनुसार चीन और भारत, दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से हटाएंगे.
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