बर्फीले तूफान और शरीर को गला देने वाली ठंड के बीच जवानों ने खोली पहाड़ी दर्रे की राह

BRO की टीम के जवान हिमाचल प्रदेश के लाहौल जिले को लद्दाख के लेह जिले से जोड़ने वाले बारालाचाला (Baralachala) पहाड़ी दर्रे का रास्ता खोलने के करीब पहुंच गए हैं. 

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BRO जवानों की बहादुरी और निस्वार्थ सेवा के कारण Baralachala का रास्ता समय से पहले खुलेगा. 
नई दिल्ली:

जहां चाह, वहीं राह, ये कहावत हमारे जांबाज जवानों पर सटीक बैठती है. ऐसा ही कुछ सीमा सड़क संगठन (BRO) की टीम ने कर दिखाया. जवानों ने बर्फीले तूफान, शरीर को गला देने वाली ठंड और हिमस्खलन की परवाह न करते हुए रणनीतिक महत्व वाले पहाड़ी दर्रे को समय के पहले खोलने के लक्ष्य को भेद दिया है.

जवानों ने दुर्गम पहाड़ी इलाके, शून्य से नीचे के तापमान, ऑक्सीजन की कमी और रात में ठहरने की कोई जगह न होने के बावजूद इस जोखिम भरे लक्ष्य को पाने के लिए जी जान लगा दी और मजबूत इरादों से ऐसा कर दिया. सीमावर्ती इलाकों में सड़क निर्माण और मरम्मत का काम करने वाले बीआरओ टीम ने अदम्य साहस और अडिग सोच के जरिये यह काम किया है.

बीआरओ ने एक बयान में कहा कि हमने तय किया था कि सड़क साफ करने वाली दो टीमों को पात्सियो औस सारचू इलाके में हवाई मार्ग से पहुंचाया जाएगा, ताकि रास्ता खोलने के काम में तेजी आए. लेकिन खराब मौसम के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका तो टीम ने गहरी बर्फ के बीच सात्चू डेट की ओर 20 किलोमीटर पैदल चलने का निर्णय किया, जहां पहले से सारे औजार रखे हुए थे.राशन, स्पेयर पार्ट्स और संचार उपकरणों के साथ टीम  ने 11 मार्च को चढ़ाई शुरू की, लेकिन भारी बर्फबारी के कारण उन्हें बेस कैंप में वापस लौटना पड़ा.

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12 मार्च को वे दोबारा 16 हजार फीट की ऊंचाई पर दर्रे की ओर बढ़े, लेकिन कम दृश्यता और बर्फबारी के कारण फिर लौटना पड़ा.13 मार्च को थोड़ी उम्मीद दिखी तो टीम ने फिर बारालाचाला दर्रा पार करने का प्रयास किया. इस बार जवानों को कामयाबी मिली, हालांकि उन्हें कई हिमस्खलन का सामना करना पड़ा. टीम को लक्ष्य से महज 7 किलोमीटर पहले घने अंधेरे के कारण रुकना पड़ा. वहां शरीर को गला देने वाली ठंड और बर्फीले तूफान के बीच जवानों ने रात गुजारी.

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14 मार्च को 15-20 फीट की बर्फ के बीच जवान 20 किलोमीटर दूर मंजिल तक पहुंच गए. इससे समय से पहले बारालाचाला दर्रा खुल जाएगा. BRO ने ट्वीट कर कहा कि कोई भी बाधा कर्मयोगियों को नहीं रोक सकती. यही वजह है कि दर्रा समय से पहले खुलने की राह साफ हो गई है. हम इंसानों की दृढ़ता, साहस और जान हथेली पर रखकर काम करने की भावना की इस कहानी को पूरे देश के सामने रखना चाहते हैं.

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