बाजार में 100 से 150 किलो तक बिकने वाला सेब सराज घाटी में हर तरफ गिरा हुआ दिख रहा है. महीने भर बाद इस सेब को बड़ी मंडियों में जाना था लेकिन बादल फटने से सराज घाटी में सेब के बागान बह गए. सालाना 10 लाख पेटी सेब का उत्पादन होता था लेकिन जिस सेब के पेड़ को उगाने में किसानों ने अपनी उम्र लगा दी, बादल फटने से सेब के बागान उखड़ गए और किसान भारी कर्ज में डूब गए हैं.
'बचपन में लगाए थे पेड़'
थनेर गांव की किसान सावित्री बताती हैं कि जब वो छोटी थी तब सेब के पेड़ लगाए थे. इस पेड़ को लगाने में अपनी उम्र लगा दी. लेकिन एक झटके में ही बादल फटने से लाखों का नुकसान हो गया.
'सेब के पेड़ उगाने में लगते हैं 30 से 35 साल'
मंडी के सराज घाटी में ही करीब एक लाख पेटी सेब का उत्पादन होता है. लेकिन इस बार बारिश के वजह से सेब के बागानों को भारी नुकसान पहुंचा है. सेब उत्पादक किसान गंगाराम बताते हैं कि, इतने नुकसान के बावजूद अभी तक राज्य सरकार की ओर से नुकसान का जायजा तक लेने कोई नहीं आया है. भारी कर्जा लेकर सेब बागान पर लगाया था. बीस दिन बाद इसे तोड़कर मंडी पहुंचाना था लेकिन क्या पता था कि प्रकृति इतना बड़ा मजाक करेगी.
कर्ज में फंसे व्यापारी और किसान
बताते चलें कि हिमाचल प्रदेश के मंडी में बादल फटने की वजह से जान-माल का नुकसान हुआ है. जिले में इस आसमानी आफत से कई लोग बेघर हो गए हैं. इलाके में भारी तबाही देखी गई है. व्यापारियों को भारी भरकम नुकसान हुआ है. बादल फटने से कई किसान और व्यापारी कर्ज में फंस गए हैं.