क्या जिन स्वास्थ्यकर्मियों को सबसे पहले टीके दिए गए, उन्हें फिर से टीका या बूस्टर डोज देने की जरूरत है? अब पुणे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अलावा मुंबई एलएच हीरानंदानी अस्पताल ने मांग की है कि स्वास्थ्यकर्मियों में एंटीबॉडी खत्म हो रही है इसलिए इन्हें बूस्टर डोज दी जाए. वहीं टास्क फोर्स कहती है, पहली डोज पूरी तरह से नहीं लगी ऐसे में बूस्टर डोज की बात ठीक नहीं.' 'कोविड मरीज़ों का इलाज…फिर नॉनस्टॉप टीकाकरण अभियान और अब नए सम्भावित लहर की तैयारी…हमारे स्वास्थ्य कर्मी डटे हैं, लेकिन इनका सुरक्षा कवच क़ायम रहे इसलिए इनके लिए कोविड वैक्सीन की तीसरी डोज़ की मांग उठी है.' देश में डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की पुणे टीम ने ये मांग की है.
महाराष्ट्र इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रवक्ता अविनाश भोंडवे का कहना, 'करीब आठ महीने हो गए हैं, स्वास्थ्यकर्मियों में एंटीबॉडी लेवल बहुत कम हो रही है. इनको तीसरी डोज की जरूरत है. तीसरी लहर अगर आयी तो इनको ही सेवा करनी है ऐसे में इन डॉक्टरों की और तमाम फ्रंटलाइन वर्कर की डिमांड है कि उनको कोविड वैक्सीन का बूस्टर डोज यानी तीसरा टीका दिया जाए.'
इधर, मुंबई के एलएच हीरानंदानी अस्पताल ने भी यही बात लिखकर कही है. लेकिन महाराष्ट्र कोविड टास्क फोर्स का कहना है कि अभी तो पहली डोज ही सबको नहीं लगी है, ऐसे में बूस्टर डोज की चर्चा ठीक नहीं.
महाराष्ट्र कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ राहुल पंडित का कहना है, 'सिर्फ एंटीबॉडी देख कर हम इम्यून सिस्टम नहीं समझ सकते हैं, इसके लिए और कई चीजें देखनी पड़ जाती हैं, वैसे भी अभी पूरी तरह से पहली डोज भी आम लोगों को नहीं लग सकी है तो ऐसे में तीसरी डोज की चर्चा करना ठीक नहीं होगा.'
टीकाकरण की रफ़्तार में महाराष्ट्र दूसरे नम्बर पर दिख रहा है. अब तक यहां 18 साल से ऊपर की करीब 86% आबादी कोविड वैक्सीन की पहली डोज ले चुकी है, वहीं दूसरी डोज करीब 25% लोगों को मिल चुकी है.
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