मैं अपना उदाहरण नहीं दे रहा, नैरेटिव के चक्कर में ना फंसे... जगदीप धनखड़ ने क्यों कहा ऐसा?

भोपाल में आयोजित कार्यकम में पूर्व उप राष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देश के नैतिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को मजबूत करने में योगदान देने वाले दार्शनिकों और लेखकों का उल्लेख किया और कहा कि कुछ लोग नैतिकता, आध्यात्मिकता और बुद्धि से दूर जा रहे हैं.

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  • भोपाल में पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नेरेटिव के चक्रव्यूह में फंसने से बचने की सलाह दी है.
  • उन्‍होंने कहा कि इस चक्रव्‍यूह में कोई फंस गया तो निकलना मुश्किल है, मैं अपना उदाहरण नहीं दे रहा.
  • धनखड़ RSS के अखिल भारतीय कार्यकारी सदस्य मनमोहन वैद्य द्वारा लिखित पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे.
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भोपाल:

पूर्व उपराष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भगवान करे कोई नेरेटिव के चक्‍कर में न फंस जाए. इस चक्रव्‍यूह में कोई फंस गया तो निकलना बड़ा मुश्किल है, मैं अपना उदाहरण नहीं दे रहा हूं. धनखड़ शुक्रवार को राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी सदस्य मनमोहन वैद्य द्वारा लिखित पुस्तक 'हम और यह विश्व' के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे. देश के उपराष्‍ट्रपति पद से इस्‍तीफा देने के बाद यह पहली बार था जब जगदीप धनखड़ इस तरह के किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नजर आए. 

भोपाल में आयोजित कार्यकम में पूर्व उपराष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, "भगवान करे कोई नेरेटिव के चक्‍कर में न फंस जाए. इस चक्रव्‍यूह में कोई फंस गया तो निकलना बड़ा मुश्किल है, मैं अपना उदाहरण नहीं दे रहा हूं." इस दौरान पूरा सभागार ठहाकों से गूंज उठता है और धनखड़ के चेहरे पर भी मुस्‍कान तैर जाती है.

नैतिकता, आध्‍यात्मिकता से दूर हो रहे लोग: धनखड़ 

उन्होंने देश के नैतिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को मजबूत करने में योगदान देने वाले दार्शनिकों और लेखकों का उल्लेख किया और कहा कि कुछ लोग नैतिकता, आध्यात्मिकता और बुद्धि से दूर जा रहे हैं. 

साथ ही धनखड़ ने कहा, "संदेश आ गया है, (भाषण देने की) एक समय सीमा होती है...मैं फ्लाइट पकड़ने की चिंता से अपने कर्तव्य को नहीं छोड़ सकता. मेरा हालिया अतीत इसका सबूत है."

धनखड़ ने जुलाई में दे दिया था इस्‍तीफा 

इस साल जुलाई में संसद के मानसून सत्र के पहले दिन स्वास्थ्य कारणों से धनखड़ ने इस्‍तीफा दे दिया था. उनके इस कदम ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी थी और इसे लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार को घेरा था.

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इसके साथ ही विपक्षी दलों ने इस्तीफे के बाद धनखड़ की "चुप्पी" को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा था. 

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