पश्चिम बंगाल में आगामी लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) के लिए पार्टी की संभावनाओं पर विश्वास जताते हुए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि अगर पार्टी को ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी से एक भी अधिक सीट मिलती है तो टीएमसी सरकार 2026 तक अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी. यह दावा करते हुए कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) बंगाल बीजेपी के लिए केंद्रीय इकाई के लिए राम मंदिर मुद्दे के समान एक वैचारिक मुद्दा है, मजूमदार ने कहा कि यह अधिनियम पार्टी को राज्य में चुनाव जीतने में मदद करेगा.
पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में मजूमदार ने कहा कि राज्य के लोगों ने लोकसभा चुनाव में भ्रष्ट और अराजक टीएमसी को हराने का फैसला कर लिया है. उन्होंने कहा, "बंगाल में हमारा 35 सीटें जीतने का टारगेट है. हमें इसे लेकर विश्वास है. अगर हमें इससे एक भी अधिक सीट मिल गई तो ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी की सरकार 2026 तक अपना कार्यकाल पूरा नहीं पाएगी. उनकी सरकार गिर जाएगी".
केंद्र मंत्री अमित शाह ने पिछले साल अप्रैल में राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 35 सीटें जीतने का टारगेट सेट किया था. हालांकि, मजूमदार ने कहा कि पार्टी पतन के लिए जिम्मेदार नहीं होगी, बल्कि टीएमसी की "वंशवाद की राजनीति" इसका कारण होगी. उन्होंने कहा, महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार के पतन का कारण हम नहीं थे, बल्कि उद्धव ठाकरे का अपने बेटे के प्रति प्यार और एनसीपी प्रमुख शरद पवार का अपनी बेटी के लिए मोह जिम्मेदार था. यह वंशवाद की राजनीति थी, जो उनके पतन का कारण बना."
टीएमसी राष्ट्रीय महासचिव और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के संदर्भ में उन्होंने कहा, "बंगाल में भी यह भतीजे के लिए उनका प्यार ही होगा जो उनके पतन का कारण बनेगा. यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को कुछ देने की कोशिश करते हैं जो इसके लायक नहीं है तो सबकुछ बिगड़ जाता है".
294 सदस्यीय राज्य विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के 74 विधायक हैं, जिनमें से सात टीएमसी खेमे में चले गए हैं, लेकिन पद से इस्तीफा नहीं दिया है. वहीं टीएमसी के पास 217 विधायक हैं. सीएए के मुद्दे पर बोलते हुए, बालुरघाट के सांसद ने कहा कि यह अधिनियम बांग्लादेश से सताए गए हिंदुओं के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है, जो अब राज्य में रह रहे हैं क्योंकि "पश्चिम बंगाल सताए गए बंगाली हिंदुओं के लिए एकमात्र मातृभूमि है." उन्होंने कहा, "सीएए बंगाल बीजेपी के लिए राजनीतिक मुद्दे से ज्यादा एक वैचारिक मुद्दा है, ठीक उसी तरह जैसे केंद्रीय बीजेपी के लिए राम मंदिर एक वैचारिक मुद्दा है. प्रताड़ित हिंदू बंगाली शरणार्थियों का क्या होगा? अगर हम उन्हें नागरिकता नहीं देंगे तो वो कहां जाएंगे?"
जब पूछा गया कि क्या सीएए बीजेपी को राजनीतिक तौर पर मदद करेगा तो इस पर मजूमदार ने कहा, "सीएए का राजनीतिक लाभ एक बाय प्रोडक्ट है." उन्होंने कहा, हां, इससे बंगाल में चुनावों में हमें मदद मिलेगी. हालांकि, चुनावों में या फिर राजनीतिक रूप से इसका फायदा मिलना बाय प्रोडक्ट है. हम सीएए के साथ आगे बढ़ते, भले ही यह राजनीतिक रूप से हमारे लिए हानिकारक होता क्योंकि यह पिछले घोषणापत्र में हमारी प्रतिबद्धता थी. सीएए बांग्लादेश से आए बंगाली हिंदुओं की सुरक्षा के लिए था जो काफी लंबे समय से राज्य में रह रहे हैं."
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