आर्थिक मामलों पर कैबिनेट की समिति ने बुधवार को IDBI बैंक लिमिटेड के रणनीतिक विनिवेश और मैनेजमेंट कंट्रोल के ट्रांसफर को लेकर अपनी मंजूरी दे दी है. कैबिनेट की ओर से एक प्रेस रिलीज जारी कर इसकी जानकारी दी गई. बैंक में भारत सरकार और LIC दोनों शेयरहोल्डर हैं. LIC बैंक का प्रमोटर है और उसका ही मैनेजमेंट पर नियंत्रण है. सरकार बैंक की को-प्रमोटर है.
बैंक में सरकार और एलआईसी दोनों का मिलाकर कुल शेयर 94 फीसदी से ज्यादा है. इसमें से 45.48% सरकार के और 49.24% एलआईसी के शेयर हैं. अभी यह नहीं बताया गया है कि दोनों शेयरहोल्डर्स के शेयरों में से कितने शेयरों का विनिवेश होगा. इसपर फैसला ट्रांजैक्शन के वक्त रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ सलाह लेकर किया जाएगा.
आरबीआई की मॉनिटरिंग में है बैंक
बता दें कि IDBI बैंक को मई, 2017 में प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क के तहत डाल दिया गया था क्योंकि बैंक कई मोर्चों पर मानकों का उल्लंघन करता दिख रहा था. मार्च, 2017 में उसका कुल NPA यानी नॉन परफॉर्मिंग असेट्स 13 फीसदी से ज्यादा हो चुका था. असेट्स पर रिटर्न, लाभ के अनुपात, कैपिटल एडिक्वेसी यानी पूंजी पर्याप्तता जैसे पहलुओं पर भी काफी गड़बड़ियां दिख रही थीं. लेकिन इस साल मार्च में चार सालों बाद आरबीआई ने बैंक को फ्रेमवर्क से बाहर कर दिया. हालांकि, बैंक पर अभी भी कुछ शर्तें हैं और आरबीआई उसकी लगातार मॉनिटरिंग कर रही है.
इस साल 1 फरवरी को केंद्रीय बजट की घोषणा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बैंक के 2022 तक निजीकरण के प्रस्ताव की घोषणा की थी.
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विनिवेश से मिले पैसों को आर्थिक विकास योजनाओं में लगाएगी सरकार
बता दें कि LIC के बोर्ड की ओर से एक रेजोल्यूशन पास कर कहा गया है कि वो बैंक में विनिवेश के जरिए अपनी हिस्सेदारी कम करेगा. बोर्ड को नियम के हिसाब से भी बैंक में अपनी हिस्सेदारी कम करनी थी. सरकार को उम्मीद है कि रणनीतिक खरीददार बैंक की ग्रोथ के लिए फंड, नई तकनीकें और मैनेजमेंट के बेहतर तरीकों के रूप में निवेश लाएंगे और सरकार या फिर एलआईसी पर निर्भरता के बिना बैंक ज्यादा बेहतर कर पाएगा.
इस प्रेस रिलीज में कहा गया है कि सरकार के शेयरों के विनिवेश से मिले संसाधनों को सरकार की आर्थिक विकास की योजनाओं में लगाया जाएगा.