'Covid Vaccine से नहीं है अचानक मौतों का संबंध', ICMR और AIIMS की स्टडी में सामने आई बात

एम्स और आईसीएमआर के सर्वे में शामिल डॉ सुधीर अरावा ने कहा कि हमने कोविड से हुई मौतों का हर स्तर पर एनालिसिस किया है. इसमें 300 लोगों को शामिल किया गया था. अब तक जो पता चला है, उसके मुताबिक 18 से 45 वर्ष के लोगों की दिल की बीमारियों के कारण मौत हुई तो कुछ को हार्ट में इन्फेक्शन भी था. कई मरीजों की मौत की वजह नहीं पता चल सकी.

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  • कोरोना वैक्सीन को लेकर सवालों के बीच एक्सपर्ट्स का दावा, वैक्सीन पूरी तरह सेफ है.
  • एम्स की स्टडी में कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले लोग अधिक सुरक्षित पाए गए हैं.
  • युवाओं की अचानक मौतों के पीछे दिल की बीमारी भी एक वजह है.
  • डॉक्टरों ने कहा, कोविड वैक्सीन से मौतों का अभी कोई सबूत नहीं मिला है.
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नई दिल्ली:

कोरोना वैक्सीन को लेकर उठ रहे सवाल के बीच एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि टीका पूरी तरह से सुरक्षित है और इसका अचानक हो रही लोगों की मौत से कोई संबंध नहीं है. दरअसल, एम्स की स्टडी में पता चला है कि जिन लोगों ने टीका लिया है, वह डोज नहीं लेने वालों की तुलना में अधिक सुरक्षित है.

मौत की वजह कोविड वैक्सीन नहीं

नई दिल्ली स्थित एम्स में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ राजीव नारंग ने दावा किया कि जिन लोगों ने वैक्सीन ली है, उनमें अचानक मौत का संभावना काफी कम है. उन्होंने कहा कि युवाओं की अचानक हो रही मौत की दो वजहें हैं- एक हार्ट में रिदम प्रॉब्लम है और दूसरा हाइपर ट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी. इसके इतर ब्लड क्लॉट की वजह से क्लासिकल हार्ट अटैक हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि हर मौत की वजह अलग हो सकती है. कोविड के बाद लोग सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव हुए हैं. इसकी वजह से अचानक हो रही मौतों की खबरें काफी चीजें वायरल हो रही हैं. 

डॉ.नारंग ने कहा कि जहां तक कोविड वैक्सीन के बाद मौत की बात है, इससे कोई मौत नहीं हुई है.स्टडी में यह पता चला है कि फैमिली हिस्ट्री वालों की डेथ हुई है. जिन्होंने 24 घंटे पहले एल्कोहल लिया है या परफार्मेंस बढ़ाने वाला एजेंट जिन्होंने लिया हो, यह सब ऐसी बाते हैं जिनसे मौत हुई है.

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मौत की कई वजह आई सामने

एम्स और आईसीएमआर के सर्वे में शामिल एम्स के पैथोलॉजी विभाग के डॉ सुधीर अरावा ने कहा कि हमने केविड से जो लोग मरे, उनका हर स्तर पर एनालिसिस किया है. इसमें 300 लोगों को शामिल किया गया था. इसमें 100 केस की विस्तार से स्टडी फॉरेंसिक मेडिसिन के सहयोग से कर चुके हैं, जिनकी मौत अचानक हुई थीं. अब तक जो पता चला है, उसके मुताबिक 18 से 45 वर्ष के लोगों की कोरोनरी आर्टरी डिजीज के कारण मौत हो रही है तो कुछ को हार्ट में इन्फेक्शन भी था. हालांकि कई केस में मरीज की मौत की वजह नहीं पता चल सकी.

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जेनेटिक कारणों से भी हुई मौतें

डॉ. .अरावा ने कहा कि युवाओं की कोरोनरी आर्टरी डिजीज से जो मौतें हो रही हैं, उसका अब डॉक्यूमेंटेशन किया जा रहा है. पहले ऐसा नहीं होता था. हमने करीब 5 साल के डाटा को कंपेयर किया, इसमें प्री कोविड और पोस्ट कोविड दोनों केस शामिल है. हमें स्टडी से पता चला कि कोरोना से पहले और कोरोना के बाद युवाओं की मौत का पैटर्न सामान है. अब तक की स्टडी में हमें ऐसा कुछ नहीं मिला कि लोगों की मौत कोरोना वैक्सीन के असर के कारण हो रही है. 

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उन्होंने कहा कि हमारी पूरी रिपोर्ट को सबमिट करने में अभी एक साल का वक्त लगेगा क्योंकि अभी हमें सब में मॉलेक्युलर एनालिसिस करना बाकी है. लेकिन इंट्रेस्टिंग बात ये है कि जो बिना कारण मौत होती थी, उसमें हमें आधे में मॉलेक्युलर वजहें मिली हैं. इसका मतलब है कि उन लोगों में जेनेटिक कारण पहले से ही था और उनकी मौत कोरोना वैक्सीन से नहीं बल्कि जेनेटिक कारण से हुई है.

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कोविड का टीका सुरक्षित

एम्स कम्युनिटी मेडिसिन के डॉ.(प्रो.) संजय राय ने कहा, "इलाज के किसी भी तरीके में कुछ भी संभावनाएं हमेशा रहती हैं. कुल मिलाकर देखेंगे तो टीका देने से काफी फायदा हुआ. रेयर डेथ की वजह से अगर हम किसी चीज को रोकने लगे तो पूरा मेडिकल साइंस बंद करना पड़ सकता है. 

ICMR की स्टडी में कहा गया है कि लोगों की मौत कोरोना वैक्सीन के कारण नहीं हो सकती है लेकिन अगर सडन डेथ में किसी रेयर केस में ऐसा मामला है तो हमें किसी इंटरवेंशन को लेकर इतनी चर्चा नहीं करनी चाहिए. मौत की कई वजह हो सकती है.

कोविड मरीज में ब्लड क्लॉटिंग घटाना चुनौतीपूर्ण 

एम्स में हीमेटॉलिजी विभाग की अध्यक्ष डॉ तुलिका सेठ ने कहा कि हमारे यहां ब्लड क्लॉटिंग के लिए एक स्पेशल क्लिनिक है. थ्राम्बोसिस को लेकर हमारे डिपार्टमेंट ने काफी रिसर्च भी किया है. टीके का नेचर होता है जिसमें बल्ड क्लॉटिंग हो सकता है. थ्राम्बोसिस यंग लोगों के बीच भी होता है. कई बार हमें क्लॉट की वजह नहीं पता चल पाता. कोविड में ब्लड क्लॉटिंग बहुत सीवियर होता था जिसे सामान्य मेडिसिन से दूर नहीं किया जा सकता था.
 

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