कंधार हाईजैक पर नेटफ्लिक्स ने अब क्या कहा? डोभाल और एक डीजीपी ने बताई थी असली कहानी

Kandahar Hijack : कंधार विमान अपहरण मामले में भारत ने कोई बड़ा एक्शन क्यों नहीं लिया था? पंजाब के पूर्व डीजीपी और अजीत डोभाल ने क्या कहा था जानिए...

Advertisement
Read Time: 6 mins
K

IC 814 Kandahar Hijacking Netflix : 29 अगस्त को अनुभव सिन्हा की वेब सीरीज 'आईसी 814 : द कंधार हाईजैक" रिलीज हुई और भारत में हंगामा मच गया. इनमें विमान हाईजैक करने वाले आतंकियों के नाम हिंदू रखे जाने का खूब विरोध हुआ. सूचना और प्रसारण मंत्रालय से मीटिंग के बाद अब इस शो का डिस्क्लेमर बदलने की घोषणा नेटफ्लिक्स ने कही है. नेटफ्लिक्स ने बयान जारी किया है कि आतंकियों के हिंदू नाम उनके कोड नेम हैं और अब भोला और शंकर के साथ डिस्क्लेमर में हाईजैकर्स के असली नाम भी जोड़े जाएंगे. नेटफ्लिक्स की इस सीरीज के कंटेंट जर्नलिस्ट श्रींजॉय चौधरी और IC-814 फ्लाइट के कैप्टन रहे देवी शरण की लिखी गई किताब 'फ्लाइट इनटू फियर : द कैप्टन स्टोरी' से लिए गए हैं. 

असली नाम और कोडनेम

6 जनवरी 2000 को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कंधार हाईजैकर्स के असली नाम बताए थे. हाईजैकिंग के दौरान IC 814 प्लेन में सवार पैसेंजरों ने पूछताछ में बताया था कि हाईजैकर्स एक-दूसरे को बुलाने के लिए कोडनेम का इस्तेमाल कर रहे थे. वो एक-दूसरे को चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर नाम से बुला रहे थे. हालांकि, इनके असली नाम इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सईद, शनि अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शाकिर थे. इब्राहिम को छोड़कर ये सभी कराची के रहने वाले थे.

पूरी और असली कहानी

24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस का विमान IC-814 नेपाल के काठमांडू से दिल्ली के लिए दो घंटे की देरी से शाम 4 बजकर 27 मिनट पर त्रिभुवन हवाई अड्डे की जमीन से उड़ा. भारतीय वायुसीमा में घुसते ही करीब 4 बजकर 53 मिनट पर विमान में मौजूद करीब 170 यात्रियों और 15 सदस्यों को एक हाईजैकर ने बताया कि विमान हाईजैक हो चुका है. वे 5 थे. सभी ने नकाब पहने हुए थे. एक ने पायलट को विमान पश्चिम की ओर मोड़ने के लिए कहा. जैसे ही विमान ने लखनऊ का तय रास्ता छोड़ा, देश में हड़कंप मच गया. इन यात्रियों में रिसर्स एंड एनालिसिस विंग (RAW) के एजेंट शशि भूषण सिंह तोमर भी बैठे थे. दिल्ली में बैठे अधिकारियों ने जानबूझकर ये सूचना छुपाई ताकि आतंकियों को उनकी जानकारी न लगे. उस समय रॉ के हेड एएस दुलत ने अपनी किताब कश्मीर : दि वाजपेयी ईयर्स में इस बात की पुष्टि की है. तोमर रॉ के लिए बेहद महत्वपूर्ण थे. हाईजैकर्स विमान को लाहौर ले जाना चाहते थे, लेकिन ईंधन की कमी के कारण अमृतसर में विमान को उतारना पड़ा. 45 मिनट तक विमान वहां रहा. हाईजैकर्स को शक था कि भारत कोई कार्रवाई कर सकता है, इसलिए विमान को जबरन बगैर ईंधन भरे लाहौर तक ले गए. ढाई घंटे तक विमान वहां खड़ा रहा. वहां ईंधन भरा गया. इसके बाद विमान रात के अंधेरे में दुबई गया. वहां 27 यात्रियों को मुक्त कर दिया, लेकिन रुपन कत्याल को आतंकवादियों ने चाकुओं से गोदकर मार दिया.  25 दिसंबर को सुबह सवा आठ बजे विमान अफगानिस्तान के कंधार हवाई अड्डे पर उतरा. फिर आतंकवादियों से बातकर सभी यात्रियों को मुक्त कराया गया.

Advertisement

अमृतसर में इसलिए नहीं पकड़े गए

2009 में अजीत डोभाल ने इस घटना के बारे में बात की थी. उन्होंने बताया कि जब हवाई जहाज काठमांडू से चलकर लखनऊ के करीब आया तो पता लगा कि वह अपने कोर से हट रहा है और वेस्ट की तरफ जा रहा है. थोड़ी देर बाद पता लगा कि क्राइसिस है और फिर सब लोगों ने अपनी कार्रवाई शुरू की. उस समय मैं आईबी में स्पेशल डायरेक्टर था. क्राइसिस मैनेजमेंट वालों के लिए इस प्लेन को लेकर सबसे बड़ी मुश्किल ये थी कि कैसे इस प्लेन को भारत में ही रोका जाए और अमृतसर से प्लेन को आगे न बढ़ने दिया जाए. कोशिश की गई लेकिन शायद नाकाम हो गई. जो काम करने चाहिए थे, शायद नहीं हो पाए. कंधार हाईजैक के वक्त पंजाब पुलिस के डीजीपी रहे सरबजीत सिंह ने द ट्रिब्यून को दिए इंटरव्यू में बताया था कि जैसे ही हाईजैक की सूचना मिली कमांडो एयरपोर्ट पर भेज दिए गए थे. अगर जहाज में कमांडो घुसते तो यकीनन कई यात्री मारे जाते. हमारे कमांडो के पास सिर्फ एके 47 थे. साथ ही हमारे जवान एंटी हाईजैकिंग ऑपरेशन के लिए ट्रेंड नहीं थे. हम इसी पर विचार कर रहे थे कि आईबी डायरेक्टर ने फोन किया तो हमने बताया कि हम घुसने के लिए तैयार हैं, लेकिन लोगों की जान जा सकती है. मगर आईबी डायरेक्टर ने इस तरह का रिस्क लेने से मना कर दिया. कारण यह था कि ऑपरेशन होने पर आतंकवादी सेफ जगह थे. जहाज ऊंचाई पर था, इसलिए हमला होने पर आतंकियों के लिए एडवांटेज था.

Advertisement

कंधार में तालिबान ने ऐसे रोका

अजीत डोभाल ने आगे बताया कि जनता और मीडिया का प्रेशर था कि किसी न किसी तरह से सभी यात्रियों को सेफली वापस लाया जाए. सरकार ने आतंकवादियों से बातचीत के लिए मुझे भेजा. कंधार जाने के बाद ये महसूस हुआ कि इनसे डिप्लोमेटिक बातचीत नहीं हो सकती. हमें समय गेन करना था, जिससे सरकार को मौका मिल सके और वह कार्रवाई कर सके. ज्यादा से ज्यादा इंफार्मेशन और पैसेंजर की सुरक्षा भी मकसद थे. हालांकि, हमलोग काफी कमजोर स्थिति में थे. हाईजैकर्स को सारी सुविधा अफगानिस्तान में मिल रही थी. वह खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे थे. उन पर कोई प्रेशर नहीं था. हाईजैक प्लेन के पास तालिबान के टैंक खड़े थे. उन्हें पूरी सुरक्षा दी जा रही थी. आईएसआई सभी सूचनाएं दे रहा था. तालिबान सरकार खुद तो कुछ नहीं ही कर रही थी, हमें भी कोई कार्रवाई करने से रोक रही थी कि हमारे जमीन पर आप कोई एक्शन नहीं ले सकते. आतंकवादी शुरू में कश्मीर की आजादी की बात कर रहे थे. 24 घंटे बाद आतंकवादियों ने 200 मिलियन डॉलर, सज्जाद अफगानी की डेड बॉडी और 35-36 आतंकवादियों को छोड़ने की मांग थी. बाद में सज्जाद और अफगानी की मांग छोड़ दी. एक तालिबानी मंत्री ने बताया कि उन्होंने इस्लाम का हवाला देकर पैसे लेने से आतंकवादियों को रोका. तीन आतंकवादियों को छोड़ने पर बात बनी. 8 दिन तक आतंकवादियों से बातचीत के बाद जैश-ए-मोहम्मद तीफ मौलाना मसूद अजहर, अहमद जगर और शेख अहमद उमर को विदेश मंत्री जसवंत सिंह खुद छोड़ने के लिए गए.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Lebanon में अब फटे Hezbollah के 'Walkie-Talkie', कल Pager Blast में हुई थी 12 की मौत | Breaking News