"लौटा दूंगी पद्म श्री, अगर...": 'आजादी' बयान पर छिड़े विवाद के बीच कंगना रनौत ने कहा

कंगना रनौत ने हाल ही में एक टेलीविज़न इंटरव्यू में टिप्पणी की थी कि भारत को 2014 में आजादी मिली जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए और 1947 में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दशकों के लंबे संघर्ष के बाद जो मिला वह "भीख" या दान था.

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इस हफ्ते की शुरुआत में कंगना रनौत को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
नई दिल्ली:

भारत की आजादी को लेकर अभिनेत्री कंगना रनौत द्वारा दिए बयान पर अब भी घमासान मचा हुआ है. कंगना रनौत के पद्म सम्मान को रद्द करने और अभिनेत्री को गिरफ्तार किए जाने की मांग तेज हो गई है. इस बीच कंगना रनौत ने आज कहा कि वह अपना पद्म श्री वापस कर देंगी और माफी भी मांगेंगी.. अगर कोई उनके एक सवाल का जवाब दे दे.

कंगना रनौत ने हाल ही में एक टेलीविज़न इंटरव्यू में टिप्पणी की थी कि भारत को 2014 में आजादी मिली जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए और 1947 में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दशकों के लंबे संघर्ष के बाद जो मिला वह "भीख" या दान था.

इंस्टाग्राम के फोटो शेयरिंग ऐप पर कंगना ने पोस्ट किया "उसी साक्षात्कार सबकुछ स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि 1857 में आजादी के लिए सामूहिक लड़ाई लड़ी गई थी... सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और वीर सावरकर जी जैसे महान लोगों के बलिदान के साथ स्वतंत्रता के लिए पहली सामूहिक लड़ाई. 1857 मुझे पता है लेकिन 1947 में कौन सा युद्ध हुआ था, मुझे पता नहीं है अगर कोई मुझे जागरूक कर सकता है तो मैं अपना पद्मश्री वापस कर दूंगी और माफी भी मांगूंगी... कृपया इसमें मेरी मदद करें."

कंगना रनौत का विवादों से पुराना नाता रहा है. उनकी भड़काऊ टिप्पणी के लिए माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर ने उन्हें प्रतिबंधित कर रखा है.

कंगना ने आज सुझाव दिया कि उन्होंने कांग्रेस को "भिखारी" कहा और इतिहास की किताबों से पार्टी के बारे में कुछ चुनिंदा राय का हवाला दिया. लेकिन उन्होंने किताब का नाम नहीं लिया.

किताब का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "कांग्रेस को भिखारी कहने वाली मैं अकेली नहीं हूं."

उनकी "भीख" वाली टिप्पणी के तुरंत बाद कई सियासी दलों ने कहा है कि कंगना रनौत पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम और उसके सेनानियों को बदनाम करने के लिए राजद्रोह का केस दर्ज होना चाहिए.

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2019 में आई फिल्म "मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी" का उल्लेख करते हुए कंगना ने कहा कि उन्होंने 1857 के संघर्ष पर व्यापक शोध किया था. इस फिल्म में उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी रानी लक्ष्मी बाई की भूमिका निभाई थी.

कंगना ने फिर अपना सवाल दोहरा और जवाब मांगा, "... राष्ट्रवाद का उदय हुआ तो दक्षिणपंथी भी सामने आए... लेकिन अचानक इसका खात्मा क्यों हो गया? और गांधी ने भगत सिंह को क्यों मरने दिया... नेता बोस को क्यों मारा गया और इन लोगों को गांधी जी का समर्थन कभी नहीं मिला? विभाजन की रेखा अंग्रेज द्वारा क्यों खींची गई? आजादी का जश्न मनाने के बजाय भारतीयों ने एक-दूसरे को क्यों मारा कुछ जवाब जो मैं तलाश रही हूं, कृपया इन जवाबों को खोजने मुझे मदद करें."

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उन्होंने दावा किया कि "आईएनए द्वारा एक छोटी सी लड़ाई" से भी भारत को आजादी मिल जाती और सुभाष चंद्र बोस प्रधानमंत्री हो सकते थे.

उन्होंने लिखा, "जब दक्षिणपंथी आजादी के लिए लड़ने के लिए तैयार थे तो इसे कांग्रेस के भीख के कटोरे में क्यों रखा गया... क्या कोई मुझे समझने में मदद कर सकता है."

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