प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi ) ने भारत के लोगों के तेजी से वैक्सीनेशन को चौंकाने वाली कामयाबी करार दिया है. उन्होंने कहा कि देश इस मामले में आत्मनिर्भर बनता जा रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि वो यह सुनिश्चित करेंगे कि तकनीक इस वैक्सीनेशन प्रक्रिया (vaccination process) की रीढ़ बनी रहे. फैसलों को लेकर नकारात्मक प्रतिक्रिया पर पीएम ने कहा कि वह आलोचना को बहुत अहमियत देते हैं. देश की 69 फीसदी आबादी को कोरोना की कम से कम एक डोज लग चुकी है. जबकि 25 फीसदी आबादी का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है. सरकार का लक्ष्य है कि देश की पूरी पात्र आबादी को दिसंबर तक टीका लगा दिया जाए.
पीएम मोदी ने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में कहा, सोचिए कि अगर हमारे देश में वैक्सीन नहीं होती तो क्या हालात होते? हम जानते हैं कि दुनिया की एक बड़ी आबादी के पास कोविड वैक्सीन नहीं है. आज हमारे टीकाकरण अभियान की कामयाबी है कि हम इस मामले में आत्मनिर्भर हैं. पीएम मोदी ने याद दिलाया कि कैसे कुछ साल पहले एक विज्ञान सम्मेलन में उन्होंने कहा था कि यह वक्त जय जवान, जय किसान के साथ जय विज्ञान जय अनुसंधान (Jai Jawan, Jai Kisan, Jai Vigyan) का है.
पीएम मोदी ने कहा, उनकी सरकार ने अनुसंधान पर जोर दिया है. भारत ने कोरोना टीकाकरण के लिए मई 2020 में ही तैयारी शुरू कर दी थी, जब दुनिया में कहीं भी किसी वैक्सीन को कोई मंजूरी नहीं मिली थी. हम नहीं चाहते थे कि टीकाकरण का यह मिशन पहले की तरह चले, जिसमें दशकों का वक्त लगे. हम तेज गति वाला प्रभावी और समयबद्ध तरीके से वैक्सीनेशन को अंजाम देना चाहते थे.
पीएम मोदी (Prime Minister) ने आलोचना और आरोपों के बीच अंतर भी किया. उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग आरोप लगाते हैं, क्योंकि उनके पास मुद्दे के बारे में पढ़ने की फुरसत नहीं है, जबकि आलोचना गहन शोध या अध्ययन पर आधारित होती है. पीएम मोदी ने कहा, मैं खुले दिल से आलोचकों का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन दुर्भाग्य से आलोचकों की संख्या बेहद कम है. ज्यादातर लोग सिर्फ आरोप लगाते हैं. जो लोग धारणा के आधार पर खेल करने का प्रयास करते हैं, उनकी संख्या बहुत ज्यादा है.
जबकि आलोचना (criticism) के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है. उस बारे में अध्ययन करना पड़ता है. लेकिन आज की तेजी से भागती दुनिया में लोगों के पास इसके लिए फुरसत नहीं है. लिहाजा कभीकभार वो आलोचकों (critics) की कमी भी महसूस करते हैं.