यूक्रेन से लौटे मेडिकल के सैकड़ों भारतीय छात्र अब पढ़ाई पूरी करने के लिए रूस गए

युद्ध प्रभावित यूक्रेन से कुल 17 हजार लोगों को स्वदेश लाया गया जिनमें से अधिकतर विद्यार्थी, कई विद्यार्थियों ने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए रूस, सर्बिया, उज्बेकिस्तान और अन्य यूरोपीय देशों का विकल्प चुना

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यूक्रेन से लौटे भारत के मेडिकल छात्र अब अपनी पढ़ाई रूस, सर्बिया, उज्बेकिस्तान आदि देशों में पूरी कर रहे हैं.
नई दिल्ली:

मेडिकल पाठ्यक्रम की अंतिम वर्ष की छात्रा जिसना जीजी (25) उन हजारों विद्यार्थियों में शामिल हैं जिन्हें रूस के हमले की वजह से यूक्रेन में चल रही पढ़ाई बीच में ही छोड स्वदेश लौटना पड़ा था और अब वही पढ़ाई पूरी करने के लिए उसी रूस के शिक्षण संस्थानों में प्रवेश लेना पड़ा है. जीजी करीब एक साल पहले यूक्रेन से लौटी थीं.

जीजी ने ‘पीटीआई-भाषा'से फोन पर की गई बातचीत में कहा, ‘‘रूस हमारा स्वागत कर रहा है. वह अतिरिक्त शुल्क नहीं ले रहा है. हमें अपनी पढ़ाई जारी रखने दी जा रही है और हमारी मेहनत बेकार नहीं होगी.''मूल रूप से केरल की रहने वाली जीजी अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई अब रूस के अर्खानगेल्स्क स्थित उत्तर शासकीय चिकित्सा विश्वविद्यालय में कर रही हैं.

ठीक एक साल पहले जीजी यूक्रेन के सुमी स्थित विश्वविद्यालय में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के पांचवे वर्ष में थीं और अपनी शिक्षा पूरी करने के करीब थीं. उनको बिलकुल अहसास नहीं था कि वर्ष 2022 उनके और जिस देश में वह पढ़ रही हैं उसके लिए उथलपुथल वाला होगा.

रूस द्वारा युद्ध छेड़े जाने से सभी स्तब्ध थे. जीजी सहित सैकड़ों छात्रों ने युद्ध शुरू होने के बाद निकासी की यात्रा शुरू की और यूक्रेन की पश्चिमी सीमा पर पहुंचे. भारतीय छात्रों को भारत सरकार के ‘ऑपरेशन गंगा‘ के तहत स्वदेश लाया गया. युद्ध प्रभावित यूक्रेन से कुल 17 हजार लोगों को स्वदेश लाया गया जिनमें से अधिकतर विद्यार्थी हैं.

वहां मेडिकल की पढ़ाई कर रहे कई भारतीय विद्यार्थियों के सामने यूक्रेन से बाहर निकलने और दूसरे देशों के विश्वविद्यालयों से पढ़ाई पूरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. कई विद्यार्थियों ने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए रूस, सर्बिया, उज्बेकिस्तान और अन्य यूरोपीय देशों का विकल्प चुना.

जीजी ने कहा, ‘‘ भारत आने के बाद समय बहुत ही अनिश्चित था. हमारा विचार था कि युद्ध जल्द समाप्त हो जाएगा और हम लौट जाएंगे. लेकिन महीनों का समय बीतने के बाद हमारे छात्र समन्वयक भी सीधा जवाब नहीं दे रहे थे.'' उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों ने अकादमिक स्थानांतरण कार्यक्रम के तहत अन्य विश्वविद्यालयों में स्थानांतरण लिया.

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पिछले साल सितंबर में विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एनएमसी) ने अधिसूचना जारी की जिसके मुताबिक एनएमसी दूसरे देशों से (यूक्रेन के मूल विश्वविद्यालय और संस्थानों की मंजूरी के साथ) भी बाकी की पढ़ाई पूरी करने पर डिग्री स्वीकार करेगी.

जीजी इस साल जुलाई में अपना पाठ्यक्रम पूरा करेगी. उन्होंने कहा, ‘‘रूस में करीब 150 विद्यार्थी हैं जिनके बारे में मैं जानती हूं कि वे यूक्रेन से आए हैं. हमने स्थानांतरण लिया है. जब कोई उम्मीद नहीं बची तो हम अक्टूबर में आए.''

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उन्होंने बताया कि उनके कुछ साथी दोबारा यूक्रेन गए लेकिन उनका मानना है कि रूस आने का फैसला सबसे बेहतर है.

यूक्रेन में एमएमबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों के अभिभावकों के संघ (पीएयूएमएस) के अध्यक्ष आरबी गुप्ता ने दावा किया कि करीब 2500 विद्यार्थी वापस यूक्रेन लौटे हैं जबकि करीब 4000 विद्यार्थियों ने सर्बिया, रूस और उज्बेकिस्तान सहित अन्य देशों में स्थानांतरण कराया है.

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