सिंधु जल संधि को स्‍थगित करने से कैसे होगा पाकिस्‍तान को नुकसान? जानिए इस पूर्व अधिकारी से

केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष रहे कुशविंदर वोहरा ने बताया कि भारत अब जल संधि को लेकर पाकिस्तान के साथ जानकारी साझा करने के लिए बाध्य नहीं है, जिसका पड़ोसी देश पर असर पड़ेगा. 

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

जम्‍मू-कश्‍मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्‍तान के रिश्‍ते और भी खराब दौर में पहुंच गए हैं. भारत ने आतंकवादियों द्वारा 26 पर्यटकों की हत्या के बाद उठाए गए कई कदमों के तहत सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है. केंद्रीय जल आयोग के पूर्व प्रमुख ने शुक्रवार को एनडीटीवी को बताया कि  भारत के पास ऐसे कई विकल्‍प मौजूद हैं, जिनके जरिए सिंधु जल संधि के स्‍थगित रहने के दौरान पाकिस्‍तान को प्रभावित किया जा सकता है. 

केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष रहे कुशविंदर वोहरा ने बताया कि भारत अब संधि में उल्लिखित पाकिस्तान के साथ जानकारी साझा करने के लिए बाध्य नहीं है, जिसका पड़ोसी देश पर असर पड़ेगा. 

जानिए अब क्‍या नहीं बताने के लिए बाध्‍य है भारत

वोहरा ने कहा, "संधि के स्थगित होने के साथ ही भारत सरकार अब सिंधु नदी प्रणाली की नदियों में जल भंडारण स्तर या प्रवाह के बारे में जानकारी पाकिस्तान के साथ साझा करने के लिए बाध्य नहीं है."

इसके साथ ही वोहरा ने एनडीटीवी से कहा, "मानसून के दौरान भारत, सिंधु नदी प्रणाली में बाढ़ की स्थिति के बारे में पाकिस्तान को कोई  जानकारी नहीं देगा."

उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान का रुख नकारात्मक रहा तो भारत संधि को रद्द भी कर सकता है. 

1960 में सिंधु जल संधि पर हस्‍ताक्षर 

भारत और पाकिस्तान ने नौ वर्षों की बातचीत के बाद 19 सितंबर, 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें विश्व बैंक भी हस्ताक्षरकर्ता था. 

यह संधि कई सीमा पार नदियों के पानी के उपयोग पर दोनों पक्षों के बीच सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान के लिए एक मैकेनिज्‍म स्थापित करती है. 

Advertisement

इस तरह होता था छह नदियों का बंटवारा

छह नदियों को नियंत्रित करने वाले समझौते के तहत पूर्वी नदियों - सतलुज, ब्यास और रावी का सारा पानी, जो सालाना करीब 33 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) है, भारत को बिना किसी प्रतिबंध के उपयोग के लिए आवंटित किया गया है. 

पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी सालाना करीब 135 एमएएफ है. इसे अब तक बड़े पैमाने पर पाकिस्तान को सौंपा गया है. 

Advertisement

संधि के अनुसार, भारत को पश्चिमी नदियों पर रन ऑफ द रिवर परियोजनाओं के माध्यम से बिजली उत्पादन का अधिकार है, जो डिजाइन और ऑपरेशन के लिए विशेष मानदंडों के अधीन है. 

यह संधि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों पर भारतीय जलविद्युत परियोजनाओं के डिजाइन पर आपत्ति उठाने का अधिकार भी देती है. 

संधि इसके दोनों आयुक्तों को साल में कम से कम एक बार भारत और पाकिस्तान में बारी-बारी से मिलने का अधिकार देती है. हालांकि मार्च 2020 में दिल्ली में होने वाली बैठक कोविड-19 महामारी के कारण रद्द कर दी गई थी. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Bihar Election 2025: RSS का बड़ा प्लान! Muslim Areas में Secret Strategy, 16000 स्वयंसेवक मैदान में