बुधवार से जारी भारी बारिश के कारण कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के निचले इलाकों में पानी भर गया है.
बुधवार से जारी भारी बारिश के कारण कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के निचले इलाकों में पानी भर गया है. सड़कें बारिश के चलते उखड़ गईं हैं. वाहनों, बिजली के तारों और पोल, पानी की सप्लाई और मकानों को भी काफी नुकसान पहुंचा है.
- बेंगलुरु में बुधवार से जारी भारी बारिश के कारण शहर के कुछ हिस्सों में पानी भर गया है. यहां वैश्विक आईटी कंपनियां और घरेलू स्टार्ट-अप स्थित हैं. यहां से पानी हटने में कई दिन लगेंगे. भारी बारिश के कारण आस-पास के रिहायशी इलाकों में सड़कें जाम हो गईं हैं और पानी और बिजली की लाइनें टूट गईं हैं. कुछ पॉश हाउसिंग कॉलोनियों में निवासियों को बचाने के लिए ट्रैक्टरों को सेवा में लगाया गया है.
- शहर में भारी बारिश के कारण वाहनों को खासा नुकसान पहुंचा है. मौसम विभाग के अनुसार, शहर के उत्तरी हिस्से में राजामहल गुट्टाहल्ली में 59 मिमी बारिश दर्ज की गई. मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों तक यहां यलो अलर्ट जारी किया है. आपको बता दें कि यलो अलर्ट भारी बारिश का संकेत है.
- सितंबर के पहले सप्ताह में बेंगलुरु में हुई भारी बारिश के कारण भी लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने तब बताया था कि राज्य सरकार ने आपात स्थिति से निपटने के लिए 300 करोड़ रुपये जारी करने का फैसला किया है. बाढ़ से 430 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 2,188 अन्य को आंशिक नुकसान हुआ है. करीब 225 किलोमीटर लंबी सड़कें, पुल, पुलिया और बिजली के खंभे भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं.
- बेंगलुरु में सितंबर में हुई भारी बारिश के बाद भीषण जलभराव के कारण शहर के कई आईटी पेशेवरों को अपने ऑफिस तक पहुंचने के लिए ट्रैक्टर की सवारी का सहारा लेना पड़ा. एचएएल हवाई अड्डे के पास यमलूर जलमग्न हो गया था, जिसकी वजह से आस-पास की आईटी कंपनियों के कई कर्मचारियों को ट्रैक्टर से अपने ऑफिस तक जाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
- इसी साल 17 मई को भी शहर में 155 मिमी से अधिक बारिश हुई. शाम को शुरू हुई बारिश देर रात और तेज हो गई. इससे कई निचले इलाकों में घुटनों तक पानी भर गया और वाहनों की आवाजाही लगभग ठप हो गई. सबसे बड़ी बात तो यह है कि बारिश में दो लोगों की जान चली गई. दोनों उल्लाल उपनगर में मजदूरी का काम करते थे. अधिकारियों ने कहा कि दो लोगों के शव एक पाइपलाइन कार्य स्थल पर मिले हैं. इनमें से एक बिहार तो दूसरा उत्तर प्रदेश से था.
- 21 नवंबर 2021 को कर्नाटक के कुछ हिस्सों में लगातार बारिश के चलते भी कई जगहों पर जलमाव ने काफी नुकसान किया. बेंगलुरु में स्थित शोध संस्थान जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च में पानी भर गया. वहां स्थित पुस्तकालय में टखने तक गहरे पानी में लोगों को काम करना पड़ा. ऐसी रिपोर्ट थी कि बाढ़ के कारण कई शोध सामग्री और रिपोर्ट क्षतिग्रस्त हो गईं थीं.
- 21 नवंबर 2021 की बारिश से लोगों को बचाने के लिए उत्तरी बेंगलुरु के कई इलाकों में नावों को भी तैनात किया गया था. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) को भी पानी निकालने के लिए कहा गया था. अधिकांश जलजमाव झील के तल पर बने अपार्टमेंट में और उसके आसपास हुआ, जहां पानी को हटाने के लिए कोई विकल्प नहीं था.
- 12 अक्टूबर 2021 को इसी तरह बेंगलुरु में बारिश की वजह से बेंगलुरु एयरपोर्ट पर प्लेन पकड़ने के लिए टर्मिनल के गेट्स तक पहुंचने के लिए यात्रियों को ट्रैक्टर का सहारा लेना पड़ा. सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में देखा जा सकता था कि केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर जलभराव हो गया और कुछ यात्री अपने सामान के साथ फुटपाथ पर फंसे हुए दिखे. कुछ लोग पानी से भरी हुई सड़क से गुजरते हुए और एयरपोर्ट गेट तक पहुंचने के लिए ट्रैक्टर पर चढ़ते दिख रहे हैं.
- बेंगलुरु में बारिश के बाद जलजमाव तो आम बात है लेकिन थोड़ी ज्यादा बरसात होने पर यह बाढ़ का रूप ले लेती है. इसका सबसे बड़ा कारण है नालियों पर अतिक्रमण. बेंगलुरु में पानी की नालियों पर लगभग 700 अतिक्रमणों की पहचान की गई थी. अतिक्रमणकारियों की सूची में कथित तौर पर कई हाई-प्रोफाइल बिल्डर्स, डेवलपर्स और टेक पार्क शामिल हैं. इस सूची में विप्रो, Prestige,इको स्पेस, Bagmane Tech Park,कोलंबिया एशिया अस्पताल और Divyashree Villas शामिल हैं.
- एनडीटीवी की पड़ताल में पता चला था कि अतिक्रमणकारियों की सूची में कई हाई-प्रोफाइल नाम हैं. जनता को दिखाने के लिए आम आदमी की संपत्तियों को तोड़ने का काम तो चलता रहता है, लेकिन बड़ी कंपनियों को छुआ तक नहीं जाता. एनडीटीवी से इंजीनियरों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. हम एक के बाद एक आगे बढ़ रहे हैं.
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